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महत्वपूर्ण मुहावरे Part-01 For UPSC & UPPSC

UPSC & UPPSC

Hindi Paper महत्वपूर्ण मुहावरे

In UPSC: – 10 number out of 300 (Less Importance) (Qualifying Paper)

In UPPSC: – 30 marks out of 150 (Very Important) (Merit to Count)

अ, आ, ओ, औ

  1. अँगूठे पर मारना ——(परवाह न करना) ————–शेखी बघारने वाले को मैं अँगूठे पर मारता
  2. अपना-सा मुँह लेकर रह जाना ————-(विफल मनोरथ रह जाना) —————-जब मैंने उसका झूठ सिद्ध कर दिया तो वह अपना सा मुँह लेकर रह गया ।(APO:97,1AS:83,UPPCS 9807)
  3. अँगुली पकड़ कर पहुँचा पकड़ना ———–(थोड़ा-सा सहारा पाकर विशेष प्राप्ति के लिए उत्साहित होना) – —–शीला ने कहा–“मैने यूं ही तुमसे हसकर बात कर ली और तुमने समझा मैं प्यार करती हैं। अपनी सीमा में रहो, “अंगुली पकड़ कर पहुचा न पकड़ो। (UPPCS.:93)
  4. अन्त बिगाड़ना ———–(परिणाम खराब करना) ————- आतंकवादियों का साथ देकर सीधे-साधे श्याम ने अपना अन्त बिगाड़ लिया। (UPPCS.:74:03:04)
  5. अपनी नींद सोना अपनी नींद जागना/उठना ————–(किसी बात की चिन्ता न करना) —————-रमेश को घर परिवार से क्या लेना-देना वह तो स्वयं अपनी नींद सोता अपनी नींद जागता है। (UPP(CS.:89)
  6. अन्धेर खाता ————–(प्रकृति और नियम के विरुद्ध कार्य करना) —————- सरकारी कार्यालयों में बिना रिश्वत दिए काम ही नहीं होता है, पूरी तरह से अंधेर खाता है। (UPPCS.95:08)
  7. अंकुश रखना (नियन्त्रण रखना) ———— राम का अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर हमेशा अंकुश रखता है।
  8. अन्न-जल उठाना ———–(अपनी सत्यता की परीक्षा देना) ————- पंचायत के समक्ष कमला ने कहा मैं निर्दोष हूँ। आप चाहे तो मैं अन्न-जल उठाने को तैयार हैं। (UPPCS:83)
  9. अन्न -जल उठना ————–(किसी स्थान से सम्बन्ध टूटने का समय आना) ————– जिला बदर होने के कारण नन्हें बदमाश को यहाँ से अन्न जल उठ गया। (UPPCS.:73:93)
  10. अंगार सिर पर धरना —————–(कठिन दुःख सहना) ————– बचपन में ही मां-बाप का निधन हो जाने के कारण अपने आरम्भिक जीवन काल में उसे अंगार सिर पर धरना पड़ा था। (BPSC:2000:02)
  11. अंगारों पर पैर रखना ———–(खतरनाक कार्य करना) ————– माफिया डान से बदले की घोषणा करके महेन्द्र ने अंगारों पर पैर रखा है। (IAS.:82:84)
  12. अन्धा होना —————–(जान-बूझकर किसी बात पर ध्यान न देना) ————- पूरे काम को बिगाड़ कर रख दिया, लगता है, आप अन्धे हो गये थे। है
  13. अक्ल का दुश्मन होना ————–(मूर्ख होना) —————— उसे समझाना व्यर्थ है, वह तो अक्ल का दुश्मन हैं।
  14. अंगारों पर लोटना ————–(रोष और जलन के मारे कुढना) —— छोटे भाई की उन्नति देखकर ईष्र्याल बड़े भाई की स्थिति अंगारों पर लोटने जैसी हो गई।
  15. अन्धे के आगे रोना अपना दीदा खोना —————–(असहाय व्यक्ति से सहायता माँगना) ——— असहाय व्यक्ति से अनुदान माँगना तो अंधे के आगे रोना अपना दीदा खोना है। है (UPPCS.:85:93:02)
  16. अगर-मगर करना-——— (टालमटोल करना) ——– मैं रोज तकादा करने आता हूँ और तुम अगर मगर करके टाल देते हो।
  17. अपना उल्लू सीधा करना ——-(स्वार्थ सिद्ध करना) – ———-रतन बाबू को अभी तुम नहीं समझोगे। तुम्हारी आंखों के सामने वह अपना उल्लू सीधा कर लेंगे और तुम देखते ही रहे औगे।
  18. अन्धेरे में तीर चलाना ————–(लक्ष्य-विहीन प्रयास करना) –शशि 4 वर्षों से एक ही कक्षा में है। भगवान जाने अन्धेरे में कब तक तीर चलाती रहेगी। (1AS.:88)
  19. अग्नि परीक्षा ——(कठिन जाँच) ————- एक मामूली धोबी के लांछन लगाने पर सीता जी को भी अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी।
  20. अक्ल के पीछे लठ लिये फिरना—— (मूर्खता करना) ——तुम तो हमेशा हर काम बिगाड़ देते हो। अक्ल के पीछे लठ लिये फिरते हो ।
  21. अक्ल का पुतला ——(अधिक बुद्धिमान) ——- इतने उलझे हुए मामले का सटीक हल सुझाकर रवि ने सिद्ध कर दिया कि वास्तव में वह अक्ल का पुतला है।
  22. अक्ल चकराना ———(कुछ समझ में न आना) —— आँखों के सामने बस दुर्घटना देखकर उसकी अक्ल ही चकरा गयी।
  23. अरण्य रोदन —(ऐसा कथन, जिस पर कोई ध्यान न दे) —— बेचारी शारदा न्याय के लिए दर-दर भटकती रही, लेकिन अधिकारियों को उस पर तनिक भी दया नहीं आई। उस की प्रार्थना अरण्य रोदन बन कर रह गई।
  24. अंगारे उगलना —–(क्रोध में कठोर वचन बोलना)—— अपने विषय में अनर्गल सुनकर वह अंगारे उगलने लगा।
  25. अँगुली पर नचाना ——(वश में करना) ———–आज के सचिव, मंत्रियों को उँगली पर नचाते हैं। (Low Sub:04, IAS:93:07)
  26. अन्धे के हाथ बटेर ——(अयोग्य के हाथ अनायास अच्छी वस्तु का लगना) ——– राकेश इस पद के योग्य था ही नहीं, लेकिन साक्षात्कार में योग्य लोग पहुंचे नहीं और राकेश को नौकरी मिल गई समझो अधे के हाथ बटेर लग गई।
  27. अँधेरे घर का उजाला ———-(एक मात्र पुत्र, कुलदीप) ——-हिमांशु अपने सम्पूर्ण परिवार में अंधेरे घर का उजाला है।
  28. अधजल गगरी छलकत जाय ——–(ओछे व्यक्ति का इतरा कर चलना) ———– राजू का बड़बोलापनं बिल्कुल ऐसा है जैसे अधजल गगरी छलकत जाय ।
  29. अगिया बैताल ——-(कठिन और असम्भ्व कार्य करना) ——–रमेश ने बीच नदी से डूबते बच्चे को निकालकर अगिया बैताल किया।
  30. अच्छे घर बयाना देना —–(अधिक बलवान से वैर-भाव मोल लेना) —-कौरवों ने पाण्डवों से युद्ध करके अच्छे घर बयाना दे दिया था।
  31. अन्धे को दिया दिखाना ———- (व्यर्थ के कार्य करना) ———–आजकल के नवयुवकों को नैतिकता का उपदेश देना अधै को दिया दिखाना है।
  32. अपना ही राग अलापना ———-(अपनी कहना, दूसरे की न सुनना) ————अपना ही राग अलापते रहोगे या कुछ मेरी भी सुनोगे ?
  33. अपनी खिचड़ी अलग पकाना/अढाई साल की खिचडी अलग पकाना ————–(सबसे अलग विचार रखना, सबके साथ न चलना) ———-यदि सभी अपनी खिचडी अलग पकाने लगे तो देश और समाज की उन्नति होने से रही ।
  34. अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना/अपने पैर आप कुल्हाड़ी मारना ————-(जान-बूझकर स्वयं को संकट में डालना) ———–अपने अधिकारी से झगड़ा करके उसने अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार ली है। (IAS-2006)
  35. अपने पैरों पर खड़ा होना ————(स्वावलम्बी होना) ——– में अपनी शादी तब करूंगा, जब अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊँगा।
  36. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना ———(अपनी प्रशसा स्वयं करना) ————अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना व्यावहारिकता के विपरीत है।
  37. अमचुर हो जाना ———(दुर्बल हो जाना, सूखकर कांटा हो जाना) ————गर्मी के दिनों में इतना अधिक परिश्रम करके अमचुर हो गया हैं
  38. अन्धे की लकड़ी/लाठी होना —————-(एक मात्र सारा होना) ————–जितेन्द्र अपने वृद्ध माता-पिता के लिए अधे की लकड़ी है।
  39. अथ से इति तक ————(प्रारम्भ से समापन तक) ——–अध्येता को यह ध्यान रखना चाहिए कि अथ से इति तक का गम्भीर अध्ययन हों।
  40. अंक में भरना ————–(प्यार से गोद में लेना) ———–वर्षों बाद घर पर अये बेटे को आगे बढ़कर वृद्ध पिता ने अंक में भर लिया। (RAS.:87:04)
  41. अँगूठा दिखाना —- (ऐन मौके पर धोखा देना, पूरी तरह से मना कर देना) ——प्रीति अपनी सहेली संगीता पर बहुत विश्वास करती थी, किन्तु मौका आने पर आखिर एक दिन संगीता ने अँगूठा दिखा ही दिया ।
  42. अन्धों में काना राजा ———-(अयोग्य व्यक्तियों के मध्य कम योग्य भी ज्यादा योग्य बनता हैं) ——-इन भोले भाले अनपढ़-गवारों के बीच विद्वता प्रदर्शित कर अन्धों में काना राजा बन रहे हो, विद्वानों के बीच तो जरा जाकर देखो। (IAS.99)
  43. अक्ल पर पत्थर/पर्दा पड़ना ——-(बुद्धि भ्रष्ट होना) ——-विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था जो उसने राम की पत्नी सीता का अपहरण किया।
  44. अढाई दिन की हुकूमत/बादशाहत ———(कुछ दिनों की शानो शौकत) ———जनाब जरा होशियारी से काम लें, वर्ना यह अढ़ाई दिन की हुकूमत जाती रहेगी।
  45. अंगार बरसना —————(कड़ी धूप होना) जेठ की गर्मी क्या है मानों अंगार बरस रहे हों।
  46. अंगूर खट्टे होना——- (असफलता पर पर्दे डालना) ————-लोमड़ी जब बार-बार छलांग लगाने के बावजूद अंगूर न प्राप्त कर सकी तो, उसने कहा कि ये अंगूर खट्टे हैं। (IAS.;82)
  47. अंग टूटना ———(थकावट से बदन में दर्द होना) ——जितेन्द्र ने दिन भर काम किया जिसके परिणाम स्वरूप उसके अंग टूट रहे हैं।
  48. अंग लगना ——(शरीर को लगना) ——–ओमजी का छोटा लड़का बहुत दुर्बल है। उसे खाया पीया अंग नहीं लगता।
  49. अंधेर नगरी ——-(कोई नियम कानून न होना, मनमानी) ——-क्या अन्धेर नगरी मचाये हो, कहीं सत्तू सत्तर रुपये किलो बिकता है?
  50. अंकुश न हो ——(नियन्त्रण न होना) ——-आजकल के लड़कों पर बड़ों का अंकुश नहीं है। (1AS.:84)
  51. अंग अंग खिल उठना —–(खुश हो जाना) ——-इन्टरमीडिएट परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने पर उसका अंग-अंग खिल उठा।
  52. अंग अंग ढीला होना ———-(फुर्ती न रहना) ———-कडा परिश्रम करने के बाद अंग-अंग ढीला हो जाता है।
  53. अंग अंग फूले न समाना ——-(बहुत खुश होना) ——–क्रिकेट मैच जीतने पर कप्तान रंजीत का अंग–अंग फूले न समा रहा था।
  54. अँगूठी का नगीना ——-(सुन्दर और सजीला) ——अरे दूल्हा’तो देखो ! बिल्कुल अँगूठी का नगीना है।
  55. अंजर-पंजर ढीला होना —–(अंग-अंग ढीला होना) —–कानूनी लड़ाई हार जाने के बाद उसका अजर-पंजर ढीला हो गया।
  56. अंटी मारना ——-(चाल चलना) ——-मोहन के घर में ठग ने ऐसी अंटी मारी कि उसके घर के सभी सदस्यों को बेवकूफ बनाकर पैसा ठग ले गया।
  57. अंडा फूट जाना ——(भेद खुल जाना) ——-चोर के साथी को पुलिस से मिल जाने पर अंडा फूट गया।
  58. अंडे सेना ——-(धर में बेकार बैठना) —–घर में अंडे सेने से अच्छा है कुछ काम करो।
  59. अंत पाना/लेना —–(भेद जानना) ——चाणक्य की नीति का अंत पाना कठिन है। (UPPCS:96)
  60. अंतड़ियाँ कुलबुलाना —-(बहुत भूख लगना) —–कुछ खाने को लाओ, मेरी अंतड़ियाँ कुलबुला रही हैं।
  61. अंतड़ियाँ गले पड़ना —–(संकट में पड़ना) ——भाई की हत्या के बाद अंतडियाँ मेरे गले पड़ी।
  62. अंदर होना ———–(जेल में बन्द होना) ——–प्रशासन चुस्त-दुरूस्त हो तो अपराधियों को अन्दर होना ही पड़ेगा।
  63. अंधाधुंध लुटाना ——–(बहुत अपव्यय करना) ——–बुरी संगत में पड़कर उसने बाप-दादा का सारा धन अंधाधुंध लुटा दिया।
  64. अंधेरे में रखना ———(भेद छिपाना) ——मुझे इस विषय में तुमने भी कुछ नहीं बताया, मुझे तो सदा अंधेरे में रखा गया।
  65. अक्ल का अंधा ———(मूर्ख) ———गवाही में उस अक्ल के अंधे ने अदालत में कुछ का कुछ कह दिया।
  66. अटकलें भिड़ाना ——(उपाय सोचना) ——–इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए मैं अटकलें भिड़ाता रहा परन्तु कुछ समझ में नहीं आया।
  67. अठखेलियाँ सूझना ——(हँसी दिल्लगी करना) ——–इस विषम परिस्थिति में भी तुम्हें अठखेलियों सूझ रही हैं ?
  68. अपने मुँह मियाँ मिटू बनना —–(अपनी प्रशंसा स्वयं करना) —– अपने मुँह मियाँ मिटू बनना मूर्खता का खुला प्रदर्शन करना है।
  69. अंगद का पैर होना ———(अत्यन्त दृढ़ होना) ——-उपकुलपति कार्यालय में शुल्क वृद्धि के विरोध में आन्दोलन करने वाले छात्र मानों अंगद के पैर की तरह जम गये हों।
  70. अगस्त्य का समुद्र पान ——-(असम्भव कार्य करना) ——–आज के युग में भ्रष्टाचार की समाप्ति अगस्त्य, का समुद्र पान है।
  71. अभिमन्यु-मरण ——(धोखा देकर मारना) —-घने जंगल में ले जाकर उस्को मारना अभिमन्यु-मरण के ही समान था।
  72. अपना अपना है, पराया पराया —–(अपने पराये की पहचान) —–मुसीबत में अपने ही काम आते हैं, सच ही है अपने अपने हैं, पराये पराये ।(UPPCS:88)
  73. अमर बेल बनना —–(दृढतापूर्वक चिपकना) ——–पदोन्नति चाहिए तो मंत्रीजी के साथ अमर बेल बन जाओ।(UPPCS.:95)
  74. अन्तर के पट खोलना —-(हृदय की बात कह देना) ——-गीता अपनी सहेली सीता के सामने अपने अन्तर के पट खोल देती है।
  75. अक्ल पर पत्थर/पर्दा पड़ना ——–(अक्ल मारी जाना) ——-मेरे अक्ल पर पत्थर पड़ गया था जो मैंने उसे यह जोखिम का काम दिया।
  76. अन्धा होना ——–(विवेक खो देना) —–जवानी के जोश में अन्धा होकर रमेश लड़कियों से छेड़खानी कर रहा था, जिसके कारण वह हवालात में है। | (UPPCS.:83)
  77. अपना राग अलापना ———(अपनी ही कहते रहना) ——मेरी भी कुछ सुनोगे या अपना राग अलापते रहोगे।
  78. अँगूठा चूमना ——-(चापलूसी करना) ——आज के युग में अधिकारियों के अँगूठे चूमने पर ही कार्य जल्दी होते हैं।
  79. अपनी नाक कटाकर दूसरे का सगुन बिगाड़ना ——(दूसरे की थोड़ी हानि करने के लिए अपनी बड़ी हानि कर लेना) —-अपनी नाक कटाकर दूसरे का शगुन बिगाड़ने वाले बहुत ईष्र्यालु और विद्वेषी होते हैं।
  80. अंधे की लकड़ी ——(एक मात्र सहारा) —–बेटा ! तुम तो मुझ अंधे की लकड़ी हो, मैं तुम्हें कैसे छोड़ सकता हूँ।
  81. अपना रख पराया चखें —–(अपना बचा कर दूसरों की हड़प करना) —–अपना रख पराया चख’ वाली मनोवृत्ति के लोग समाज के बहुत बड़े दुश्मन हैं।
  82. अंक लगाना —–(आलिंगन करना) चित्रकूट में राम ने भरत को अंक लगा लिया तथा प्रेम विह्वल हो गये।
  83. अँधेरे मुँह ——-(उजाला होने से पूर्व) —-नन्द किशोर साहू प्रतिदिन अँधेरे मुँह टहलने जाते हैं।
  84. अक्ल की रोटी खाना —–(बुद्धिजीवी होना) ———वकील और पत्रकार तो अक्ल की रोटी खाते हैं।
  85. अंतड़ियों में बल पड़ना ———(पेट दुख़ने लगना) —–चुटकुला सुनकर हँसते हँसते मेरी अँतड़ियों में बल पड़ गये।
  86. अन्न का कन्न करना ———(अच्छी चीज को खराब करना) ——–विनोद कोई व म ढंग से नहीं कर पाता, केवल अन्न का कन्न करना जाना है।
  87. अड़ियल ट्दू ——(हठी, जिद्दी) ——मैंने अपनी जिन्दगी में बहुत जिद्दी देखे लेकिन उसके जैसा अड़ियल टुटू नहीं देखा।
  88. अधर में लटकना —–(दुविधा में पड़ा रह जाना) —–अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, सारा मामला अधर में लटका हैं।
  89. अन्न न लगना ——-(खाकर भी सेहत न बनाना) ——डॉक्टर साहब मैं पौष्टिक खाना खाता हैं फिर भी मालूम नहीं क्यों अन्न नहीं लगता है
  90. अपनी खाल में मस्त रहना —–(अपनी दशा से संतुष्ट रहना) ——कोई माल मस्त, कोई हाल मस्त, हम है अपनी खाल में मस्त
  91. आपे में न होना —–(होश में न होना) ———अनर्गल बक रहा है, लगता है आपे में नहीं है।
  92. अंग गिरानी ——(उत्साह न दिखाना) ———–श्याम शरीर से तो हट्टा-कट्टा है लेकिन काम के नाम पर अग गिराए रहता है।
  93. अंग-अंग फड़कना ———-(स्फूर्ति और ऊर्जा से परिपूर्ण होना) ————वह तैराक बहुत ही स्वस्थ एवं चुरत है, उसके अंग-अंग फड़क रहे हैं।
  94. अंग उभरना ——(जवानी के लक्षण दिखाई देना) ———–सोलह साल की उम्र आते-आते लड़के-लड़कियों के अंग उभर आते हैं।
  95. अंग नहीं समाना ——-(नहीं संभाल पाना) ———-जवानी का उफान सबके अंग नहीं समाता।
  96. अक्ल चरने जाना ——(अक्ल गायब हो जाना) ——–क्या तुम्हारी अक्ल चरने गई थी, जो तुम प्रशासन से जा भिड़े।
  97. अल्लाह मिर्यों की गाय ——(अत्यन्त ही सीधा एवं सच्चा) —–व्यर्थ में ही रामू से क्यों लड़ते हो, वह बेचारा तो अल्लाह मियाँ की गाय है।
  98. अचार करना ——-(बहुत मारना) ——विश्वविद्यालय में छात्रों ने साइकिल चोर को पकड़कर अचार कर दिया।
  99. अंडे का शहजादा ———-(अनुभव हीन) ——-वह क्या सिखाएगा, जो खुद ही अंडे का शहजादा है।
  100. अड्डा जमाना ——–(स्थाई रूप से रहने लगना) ——साधुओं की एक बड़ी जमात ने प्रयाग के दारागज मुहल्ले में अड्डा जमा लिया है।(Low Sub,:1990)
  101. अरमान निकालना ————(इच्छायें पूरी करना) ———-बेरोजगार लोग नौकरी मिलने पर पहले अपने अरमान निकालने की सोंचते हैं।
  102. अपना किया पाना —–(कर्म का फल भोगना) ——बेहूदों को जब मुँह लगाया है, तो अपमान सहना ही पड़ेगा अपना किया तो पाओगे ही।
  103. अपनी खिचड़ी अलग पकाना/अढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना —(स्वार्थी होना, अलग होना, सबके साथ न चलना) —–रमेश अच्छा आदमी नहीं है, उसे साथ में नहीं रखेंगे। वह हमेशा अपनी खिचड़ी अलग पकाता है। (IAS.:86, APO:94, UPPCS.:96)
  104. अन्न-जल करना ——(जलपान), ——नाराजगी आदि के कारण निहार के बाद आहार ग्रहण भाई बहुत दिनों पर आये हो अन्न-जल तो करते जाओ।
  105. आँख की किरकिरी होना ——–(आँखों को चुभने वाला, अच्छा न लगना) —–अंग्रेज शासकों के लिए वीर क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद आँख की किरकिरी हो गये थे।
  106. आँख खुलना —-(सावधान हो जाना) ——-इतनी बार आसफल होने के बाद तो तुम्हारी आंख खुल जानी चाहिए।
  107. आँख दिखाना —–(डाँटना, धमकाना) —————छोटे बच्चे ऑख दिखाने से बिगड़ जाते हैं।
  108. ऑखें पथरा जाना —–(ऑखें थक जाना) ———अपने इकलौते पुत्र की मृत्यु की सूचना पाते ही, उसकी आँखें पुथरा गयीं ।
  109. अन्धा क्या चाहे दो आँखें ——(इच्छित वस्तु का प्राप्त होना) ——– व्यापार में लगे घाटे से मेरी दुर्दशा देखकर मेरे छोटे-भाई ने कहा “भाई साहब आप मेरे पास आ जाइए। व्यापार शुरु कीजिए। जितना पैसा लगेगा, मैं हूँगा।” अंधे को क्या चाहिए, दो आँखें । मैं तुरन्त उसके पास चल पड़ा।
  110. अन्धी/अन्धे पीसे कुत्ते खाय ——(किसी की कमाई अथवा परिश्रम का लाभ अयोग्य द्वारा उठाना) —– जब देश में मेहनत करने वालों को उचित पारिश्रमिक नहीं प्राप्त होता और बड़े व्यापारियों और पूँजीपतियों को लोग फलते-फूलते देखते हैं तो वे उस व्यवस्था को दोषी ठहराते हैं जिसमें अन्धी पीसे कुत्ते खाय वाली उक्ति चरितार्थ होती है।
  111. अन्धा बाँटे रेवड़ी; फिर-फिर अपने को ही दे ———-(स्वार्थ-लाभ, सम्पूर्ण लाभ स्वयं उठाना) — वर्तमान समय में नेतागण अंधा बाँटे रेवडी फिर-फिर अपनों को ही दे वाली उक्ति चरितार्थ कर रहे हैं।
  112. अपना रख, पराया चख ——–(अपनी वस्तु का बचाव करना और दूसरे का मनमाना उपयोग करना) —— अपना रख, पराया चख वाली मनोवृत्ति के लोग समाज के बहुत बड़े शत्रु हैं।
  113. अन्धे के आगे रोनाः अपना दीदा खोना ————(दुःख सुनाने पर ध्यान न देना) —- आजकल अधिकारियों से अपनी व्यथा कहना अंधे के आगे रोना अपना दीदा खोना है।
  114. अपना सोना खोटा तो परखैया का क्या दोष ———(अपने ही लोग बुरे हों तो पराये व्यक्तियों को क्या दोष दिया जाए) —- मेरी पत्नी अपने आवारा लड़के की शिकायत करने वालों को ही बुरा भला कहती है, मैंने उन्हें समझाया कि अपना सोना खोटा तो परखैया का क्या दोष? (RAS.:2003)
  115. अक्ल बड़ी या भैंस? ———-(शारीरिक शक्ति से बुद्धि श्रेष्ठ है) —- उसने अपनी बुद्धि लगाई तो व्यापार में सफल हो गया और उसका साथी अपनी शारीरिक ताकत के भरोसे मुँह की खा गया। ठीक ही कहा है, अक्ल बड़ी या भैंस?
  116. अपनी करनी पार उतरनी —-(अपने कर्म का फल स्वयं भोगना पड़ता है) —– जीवन में सफल होने के लिए स्वयं परिश्रम करो, क्योंकि अपनी करनी पार उतरनी।
  117. अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है ———-(अपने घर में निर्बल भी सबल दिखायी पड़ता है) —– कॉलेज में तो मेरे सामने तेरी घिग्घी बँध जाती थी, लेकिन अपने मोहल्ले में बुरा-भला बोल रहे हो अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है।
  118. अपना हाथ जगन्नाथ —(स्वयं द्वारा सम्पदित कार्य फलदायक होता है) —– जहाँ तक हो सके, अपना कार्य स्वयं करना चाहिए, क्योंकि “अपना हाथ जगन्नाथ”।।
  119. अपनी नाक कटे तो कटे; दूसरे का सगुन तो बिगड़े —–(दूसरों को हानि पहुँचाने के लिए स्वयं की हानि के लिए भी तैयार रहना) — नगर निगम में अतिक्रमण की शिकायत करने में मेरी चहारदीवारी ही टूटेगी लेकिन पड़ोसी की बालकनी सहित बरामदा भी टूट जायेगा अपनी नाक कटे तो कटे दूसरे का सगुन तो बिगड़े। (RAS.:05)
  120. अब पछताये होत क्या; जब चिड़िया चुग गई खेत —-(समय निकल जाने पर पछताना, समय निकल जाने पर प्रयत्नशील होना) – सालभर तो पढ़ाई नहीं की, अब असफल होने पर रोते हो, इससे का लाभ ? अब पछताये होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत ।(RAS.:03)
  121. अशर्फियाँ लुटे, कोयलों पर छापा;मुहर/अशर्फी की लूट और कोयले पर छाप —-(मूल्यवान वस्तु की अपेक्षा तुच्छ वस्तु का ध्यान, अल्प-व्यय पर सतर्कता) —– रमेश ने अपनी बहन की शादी के अवसर पर बहुत बढ़िया दावत दी, परन्तु पान तम्बाकू में कंजूसी करके अशर्फियाँ लुटे, कोयलों पर मुहर को चरितार्थ कर दिया ।
  122. अरहर की टट्टी, गुजराती ताला —-(छोटी वस्तु की सुरक्षा में अधिक व्यय) —– इस जीर्ण शीर्ण पुराने मकान की सुरक्षा के लिए चारों ओर ऊँची मजबूत चहारदिवारी बनवाना अरहर की टट्टी गुजराती ताले के समान है।
  123. अपनी डफली; अपना राग —–(सबका मत पृथक-पृथक होना) —- संगठन के अभाव में लोग अपनी डफली; अपना राग अलापते हैं।
  124. अपनी पगड़ी अपने हाथ —(अपनी प्रतिष्ठा अपने हाथ) —- बस अब कुछ आगे बोलने की जरूरत नहीं है क्योंकि अपनी पगड़ी अपने हाथ हुआ करती है।
  125. अवसर बला और के सिर —–(अपना दोष दूसरों पर मढ़ना) —- श्यामू ने कलम की चोरी की और हँसा दिया अमित को। इसी को कहते हैं अवसर वला और के सिर ।
  126. अवसर चूके डोमिनी गावे ताल बेताल ——-(समय चूकने पर किसी बात का प्रभाव नहीं पड़ता) —– दीवार बन जाने के बाद लोगों के पंचायत करने से अवसर चूके डोमिनी गावे ताल बेताल वाली कहावत होगी।
  127. अस्सी की आमद चौरासी का खर्च —-(आय से अधिक व्यय) —– वह तो हर समय ही आर्थिक तंगी में रहता है क्योंकि उसका अस्सी की आमद चौरासी का खर्च है।
  128. अन्दर छूत नहीं बाहर करें दुर-दुर ——–(मन में कुछ-बाहर कुछ) —— लाला जी बड़े ही स्वार्थी, पाखण्डी एवं छली व्यक्ति हैं, वे अन्दर छूत नहीं बाहर दुर-दुर को चरितार्थ करते है।
  129. अनदेखा चोर, शाह बरातर ——(चोर को चोरी करते न देखने पर वह अपने को निर्दोष व्यक्ति के बराबर समझता हैं) —- चूंकि विनोट की चोरी अभी तक कभी पकड़ी नहीं गयी वह ठाट से सीना तान कर रहता है। सच ही कहा है अनदेखा चोर शाह बराबर ।(UPPCS:11)
  130. अन्धेर नगरी चौपट राजा : टके सेर भाजी, टके सेर खाझा —-(मूर्ख और गुणवान का समान आदर) —- अयोग्य अधिकारी होने पर सभी कामों में धांधली चलती हैं, ठीक ही कहा गया है अधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी, टके सेर खाशा।
  131. अन्त भला सो सब भला —-(जिसका अन्त उत्तम हो, वही उत्तम कार्य है) –—- शुरु में कुछ विवाद जरूर हुआ था लेकिन अन्त में बारात की विदाई अच्छी तरह से हो गयी। अन्त भला सो सब भला।
  132. अटका बनिया देय उधार ——-(दबाव पड़ने पर सब कुछ करना पड़ता है) ———– असमाजिक तत्वों के धमकाने पर उसने अपना सब सामान दे दिया, क्योंकि एसी परिस्थिति में अटका बनिया देय उधार वाली कहावत सिद्ध होती है।
  133. अधजल गगरी छलकत जाय ———–(कम ज्ञान, धन, सम्मान वाले व्यक्ति अधिक प्रदर्शन करते हैं) —- जब कोई अल्पज्ञ अधिक बकवास करता है तो अधजल गगरी छलकत जाय वाली कहावत चरितार्थ होती है।
  134. अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम ——-(ईश्वर सबकी आवश्यकतयें पूरी करता है) —– रामू कोई काम-धाम नहीं करता, पता नहीं खाने-पीने का प्रबंध कैसे करता है। उससे पूछो तो सदा यही उत्तर देता है, कि अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम दास मलूका कह गये, सबके दाता राम।
  135. अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई ————(किसी के परिश्रम का, लाभ दूसरे को मिलना) —– रात दिन मेहनत करके कर्मठ एवं ईमानदार जमुनादास ने छत ढकने के लिए, परिवार के लिए मकान बनवाया लेकिन भाई की बदनीयती के चलते मकान का सुख नहीं भोग पाये, कारण भाई ने बेईमानी से मकान हथिया लिया। इसी को कहते हैं, अंडे सेवे कोई बच्चे लवे कोई।।
  136. अंधा क्या जाने बसन्त बहार ——(जिसने जो वस्तु नहीं देखी हो, वह उसका आनन्द क्या जाने)– शियेटर में जाकर उमेश ने नाटक “लोटेया की छोकरी” का मंचन नहीं देखा तो उसकी कहानी वह क्या बताएगा । अंधा क्या जाने बसंत बहार।
  137. अकेला हँसता भला न रोता भला ——(सुख-दुःख में साथी होने चाहिए) —- गरीबी के दिनों में आपको उसका साथ देना चाहिए था, क्योंकि अकेला हँसता भला न रोता भला ।
  138. अटकेगा सो भटकेगा ——(दुविधा या सोच-विचार में पड़ने से काम नहीं होता) —– आपने अपने सर्वोच्च अधिकारी से मिलने में देर कर दी जिससे आप का काम नहीं हो पाया। सच ही कहा है अटकेगा सो भटकेगा।
  139. अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं दिखता है ——-(स्वयं अपने आप प्रयत्न करने पर ही काम बनता है) —- मुनीमजी मैं स्वयं जाकर सौदा पटाने का प्रयत्न करूंगा क्योंकि अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं दिखता है।
  140. अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान ——(ईश्वर की कृपा से नाकाबिल भी काबिल हो जाता है) —- साधारण अक्ल तथा आलसी होते हुए भी रामू का उत्तीर्ण होना अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान की उक्ति चरितार्थ करता है।
  141. अढाई हाथ की ककड़ी,नौ हाथ का बीज —-(अनहोनी बात) ——- दहेज में स्कूटर न मिलने पर शादी न करने की धमकी देने वाले दूल्हे को दुल्हन व गाँव की महिलाओं द्वारा दौड़ा-दौड़ा कर पीटने की खबर अढाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज है।
  142. अपना ढूंढर देखें नहीं, दूसरे की फुल्ली निहारे —–(अपने दुर्गुण अधिक होकर भी न देखना लेकिन दूसरे के थोड़े अवगुण को भी देखना) —– नेता जी अपने किये गये कार्यों को नहीं देखते ऊपर से ग्राम प्रधान पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर ‘अपना देंढर देखें नहीं दूसरे की फुल्ली निहारे’ वाली कहावत को चरितार्थ करते हैं। (RAS.:03:08)
  143. अपनी रज बावली ——-(स्वार्थी आदमी दूसरों की चिन्ता नहीं करता) ——– सुधा संजय से दो दिन के लिए किताब मांगकर खुद तो परीक्षा तैयारी कर रही है और संजय के किताब वापस माँगने पर किताब न मिलने का बहाना कर के अपनी गरज बावली वाली कहावत सिद्ध कर रही है।
  144. अपने किये का क्या इलाज —-(अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता हैं) —- पढाई के दिनों में मौज-मस्ती करोगे तो परीक्षा में अनुत्तीर्ण तो होगे ही क्योंकि कहावत है, अपने किये का क्या इलाज ।
  145. अपने झोपड़े की खैर मनाओ ——(अपनी कुशल देखो)——- मुहल्ले वालों से मत उलझो पहले अपने झोपड़े की खैर मनाओ।
  146. अपने पूत को कोई काना नहीं कहता —–(अपनी खराब चीज को कोई खराब नहीं कहता) —— सब्जी वाला सुखी पालक को हरी बता रहा था, सच ही कहा है-अपने पुत को कोई काना नहीं कहता।।
  147. अब की अब के साथ, जब की जब के साथ —–(सदा वर्तमान की ही चिन्ता करनी चाहिए?) —– पहले आपको बड़ी लड़की की शादी करनी चाहिए बाद में छोटी लड़की के बारे में सोचिएगा, क्योंकि अब की अब के साथ जब की जब के साथ। (IAS.:02)
  148. अंधा बगुला कीचड़ खाय —–(संसाधन की कमी से अयोग्य बनना) —— रवि बढियाँ कारीगर होते हुए भी पैसे के अभाव में अधे बगुले के समान कीचड़ खा रहा है।
  149. अपना तौसा अपना भरोसा ——(अपने पास रखी चीज पर ही भरोसा किया जा सकता है) –—– रास्ते में भोजन का भरोसा मत करो। भोजन घर से लेकर चलते हैं क्योंकि अपना तोसा अपना भरोसा।।
  150. अन्धों में काना राजा ——(मुख के बीच कोई एक सुयोग्य) ——- गाँव के अनपढों के बीच थोड़ा पढ़ा लिखा होने के कारण अपने को बहुत विद्वान समझता है जबकि हकीकत यह है कि वह अन्धों में काना राजा है।
  151. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता ——(अकेला व्यक्ति लाचार होता है) —— अकेले बल पर में बदमाशों का सामना नहीं कर सकता क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। (UPPCS.:02)

  1. आँख लगी और माल यारों का —-(अपनी असावधानी से किसी की कोई वस्तु का चोरी चला जाना) —— यात्री के पेशाब करने को जाते ही उचक्के उसकी ब्रीफकेस उड़ा ले गये, यह तो वही हाल हुआ कि ऑख लगी और माल यारों का। (UPPCS:05)
  2. आग लगने पर कुआँ खोदना —-(आपत्ति के आने पर प्रयत्न करना) ——- बरसात जब शुरु हो जायेगी तब तुम छत बनवाओगे ? ये तो वही हाल है कि आग लगने पर कुआँ खोदना।
  3. आदमी बसे और सोना कसे ——(साथ रहने पर मनुष्य की और कसौटी पर सोने की परख होती है/मनुष्य के चरित्र और सोने के गुण की पहचान तुरन्त नहीं होती) —— किसी के साथ रहकर जब तक उसका आचरण और व्यवहार न देख लो, उसके विषय में कुछ कहना ठीक नहीं क्योंकि आदमी बसे और सोना कसे मालूम पड़ता है। (AP0:05)
  4. आधा तीतर आधा बटेर —–(अनमेल वस्तुओं का संयोग) —— राम ने धोती कमीज पहन कर गले में नेक टाई बाँधी थी। बस वह आधा तीतर आधा बटेर था।
  5. आप मियाँजी माँगते द्वार खड़े दरवेश ——–(धर में भूजी भांग नहीं, फिर भी दानखाता पर बैठना) —– सेठ जी दिवालिया होकर भी दान करने चले। यह तो वही बात हुई कि आप मियाँजी मॉगते द्वार खड़े दरवेश।
  6. ऑख फूटीः पीर गयी ——–(कारण के नष्ट होने पर कार्य अपने आप समाप्त हो जाता है।) —— कुख्यात आतंकवादी के मारे जाते ही सारा इलाका सुख की नींद इस तरह सोने लगा, जैसे आँख फूटी पीर गयी ।(BPSC.:05)
  7. आँख के अन्धे नाम नयन-सुख ——(गुण के विपरीत नाम) —– माँ-बाप ने नाम रख दिया धनीराम, पर उसके पास दो वक्त खाने को भी कुछ नहीं है। अक्सर ऐसे ही गुण के विपरीत नाम होते हैं, आँख के अधे नाम नयन-सुख ।
  8. आगे नाथ न पीछे पगहा ———(जिसका कोई न हो) ——- निःसन्तान संगम लाल अधिक धन इकट्ठा करने की चिन्ता में रहते हैं। आगे नाथ न पीछे पगहा” की स्थिति में भी उनका धन के प्रति यह लोभ विस्मय उत्पन्न करता है।
  9. आप का काज महाकाज ——-(अपना कार्य स्वयं करना ही श्रेयस्कर है) ——- बाजार से सामान खरीदने स्वयं हीं जाना चाहिए, क्योंकि आप का काज महाकाज होता है।
  10. आगे कुआँ, पीछे खाई/इधर कुआँ उधर खाई ———(चारों ओर कठिनाई ही कठिनाई) —– मेरी पत्नी और माँ के बीच हमेशा ठनी रहती है। पत्नी का पक्ष लें तो माँ अपनी कोख को कोसने लगती है और माँ का पक्ष लें तो पत्नी कुआँ–पोखर करने चल पड़ती है। मेरी तो बड़ी आफत है, आगे कुआँ हैं और पीछे खाईं।
  11. आठ कन्नौजिया नौ चूल्हे ——–(मेल से न रहना) ——- दोनों सगे भाइयों के परिवार में आपस में बैर हैं जैसे कि आठ कन्नौजिया नौ चूल्हे हों।
  12. आप डूबे तो जग डूबा ———(जब मर गये तो फिर चिन्ता क्या) —— मुझे अपने मरने का डर नहीं है क्योंकि आप डूबै तो जग डूबा ।
  13. आम के आमः गुठलियों के दाम ——(दुहरा लाभ) ———- गन्ने का रस तो वह बेचता ही है। गन्ने का छीलन भी वह गौशाला वाले को बेच देता है जिससे उसे आम के आम गुठलियों के दाम मिल जाते हैं।
  14. आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास ———-(प्रमुख कार्य के उद्देश्य को छोड़कर अन्य कार्य में लग जाना) —- असीम पढ़ने के लिए शहर गया, लेकिन बुरी संगत में पड़कर शराबी और जुआड़ी हो गया। आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास।
  15. आप भला तो जग भला ———(सभी अपने जैसा दिखायी देना) ——– साधु पुरुष को सभी लोग अच्छे ही दिखते हैं। सच कहा है, आप भला तो जग भला।।
  16. आटा-दाल का भाव मालूम होना ——(कठिनाई का अनुभव होना) —— अभी तक तो अविवाहित होने के कारण वह खूब गुलछरें उड़ाता रहा है लेकिन गृहस्थी के बंधन में बँध जाने से अब उसको आटे-दाल का भाव मालूम होगा।
  17. आप मरे बिना स्वर्ग नहीं मिलता ——(कष्ट के बिना सुख नहीं मिलता, स्वयं कार्य किये बिना काम में सफलता अथवा उद्देश्य की प्राप्ति सम्भव नहीं हैं) —– परीक्षा का समय निकट आ रहा है, सभी छात्रों को स्वयं डटकर अध्ययन करना अपेक्षित है, तभी उत्तीर्ण हो सकोगे, क्योंकि आप मरे बिना स्वर्ग’नहीं मिलता है।
  18. आयी तो रोजी नहीं तो रोजा ——-(कमाया तो खाये, नहीं तो भूखे) ——— रामू को जिस दिन कहीं काम मिल जाता है, उस दिन उसे भर पेट खाने को मिलता है। उसका वही हाल है, आयी तो रोजी नहीं तो रोजा।
  19. आँख एक नहीं, कजरौटा दस-दस —-(व्यर्थ आडम्बर) —— मंत्री जी कोई विकास का कार्य अपने क्षेत्र में करते नहीं केवल शिलान्यास ही करते रहते हैं। आँख एक नहीं कजरौटा दस-दस।
  20. ऑख और कान में चार अंगुल का फर्क है —-(आँखों देखी विश्वासनीय है, कानों सनी नही) —— यह कि ताजमहल को उत्तरी दिशा से देखने पर इसके 36 खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं, परंपरागत मुख्य द्वार से जाने पर केवल एक कानों सुनी खबर नहीं है बल्कि आँखों देखी है। ऑख और कान में चार अंगुल का फर्क है।
  21. आँख के आगे नाक सूझे क्या खाक ——–(आँख पर पर्दा पड़ने पर कुछ नहीं सूझता) —— आँख पर पर्दा पड़ा रहने पर कुछ नहीं सूझता और इतिहास गवाह है कि आँख के आगे नाक सूझे क्या खाक कहावत को सिद्ध करते हुए कई-कई बार मोहब्बत में अधे शहजादों ने अपने परिजनों के ही खिलाफ बगावत का परचम लहराया था। (MPPCS:04}
  22. आई है जान के साथ, जाएगी जनाजे के साथ —–(लाइलाज बीमारी) —- मुझे मुधमेह की बीमारी हो गई है जो लगता है आई है जान के साथ जाएगी जनाजे के साथ। 6 ‘आग’ कहते मुँह नहीं जलता (नाम लेने मात्र से कोई हानि-लाभ नहीं होता) – क्षय रोग का नाम लेने से ही आपको यह नहीं हो जायेगा क्योंकि आग कहते मुँह नहीं जलता है।
  23. आग का जला आग ही से अच्छा होता है —(कष्ट देने वाली वस्तु कष्ट का निवारण भी करती है) —- तुमने कटु वचन बोलकर उसका दिल दुखाया है। दुःखी होकर वह खाना पीना छोड़कर बैठा है। तुम्हारे ही मनाने पर वह मानेगा भी क्योंकि कहावत है । का जला आग ही से अच्छा होता है।
  24. आगे जाए घुटने टूटे, पीछे देखे, आँख फूटे ——(जिधर जाएँ उधर ही संकट) – थाने जाते हैं तो पुलिस वाले पैसा माँगते हैं, नहीं जाते हैं तो रात में चोरों का भय बना रहता है अर्थात आगे जाए घुटने टूटे पीछे देखे ऑख फटे।
  25. आग खाएगा तो अंगार उगलेगा —–(बुरे काम का बुरा फल) —- चोरी का काम करता है तो पुलिस से मार खाएगा ही। आग खाएगा तो अंगार उगलेगा। (RAS.:03:06)
  26. आग बिना धुआँ नही —-(हर चीज का कारण अवश्य होता है) —— बीज गोदाम में अधिकारियों ने बीज की कालाबाजारी अवश्य की होगी इसीलिए उन्हें निलंबित किया गया है क्योंकि आग बिना धुआँ नहीं होता।
  27. आँख सुख कलेजे ठण्डक ——(परम शान्ति) —– न्यायालर द्वारा पुनः बहाली हो जाने के आदेश मिलने पर आज ऑख सुख कलेजे ठण्डक मिली है। (MPPCS:01:07)
  28. आज का बनिया कल का सेठ ———-(निरन्तर कार्य करने से व्यक्ति प्रगति करता है।) —- अभी नयी दुकान है समय के साथ बिक्री बढ़, के साथ ही साथ लाभ भी बढ़ेगा। मतलब आज का बनिया कल का सेठ। (MPPCS07)
  29. आठ बार नौ त्योहार ——(भौज मस्ती का जीवन) —— बाप की सम्पत्ति पर अभी कुछ दिन और तुम आठ बार नौ त्यौहार मना लो इसके बाद अपनी औकात पर आ जाओगे।।(BPSC:03:07)
  30. आदमी की दवा आदमी है ———-(मनुष्य की सहायता मनुष्य ही कर सकता हैं) —— कभी जरूरत आ पड़े तो गाढे वक्त में मुझे याद कीजिएगा क्योंकि आदमी की दवा आदमी है।(UKPCS.:2006)
  31. आदमी को ढाई गज कफन काफी है ———–(इसान का धन जुटाना व्यर्थ है।) ——— मनुष्य का शरीर नश्वर हैं। इस माया रूपी संसार में विरक्त भाव से जीवन जीना ही मनुष्य का उद्देश्य होना चाहिए क्योंकि अन्त में मनुष्य के साथ कुछ नहीं जाता, कुछ काम नहीं आता, काम आता है तो केवल ढाई गज का कफन । कहावत भी है-आदमी को ढाई गज का कफन काफी है।(1AS.:2005)
  32. आदमी पानी का बुलबुला है ——(मनुष्य का जीवन नश्वर है) ——– जो कुछ भी करना है। अभी कर लो कल पर मत छोडो क्योंकि आदमी पानी का बुलबुला है। (MPPCS.:(03)
  33. आ पड़ोसिन लड़े —–(बिना कारण झगड़ा करना) —— आपकी यह आदत अच्छी नहीं है। जब देखो तब, आ पड़ोसिन लड़ें कहावत करते रहते हैं।(BPSC:03:07)
  34. आप मरे जग परलय ———-(अपने मरने के बाद प्रलय ही क्यों न आये) ——- जग्गू खुद तो पुलिस के हाथों मारा गया लेकिन उसका पूरा परिवार कुदृष्टि से देखा जा रहा है उसका मारा जाना आप मरे जग प्रलय के समान है।(Upper Sub.:05)
  35. आपा तजे तो हरि को भजे ———–(स्वार्थ छोडने से ही परमार्थ होता है)—— पहले आप समाज सेवक बनिए। समाज सेवा करके ही आप विधायक बनने का सपना देख सकते हैं क्योंकि आपा तजे तो हरि को भुजे।
  36. आ बैल मुझे मार ————(बिना कारण मुसीबत मोल लेना) ————– विदेशी सामानों को चोर बाजार में बेचकर अपने बेकार ही “आ बैल मुझे मार” वाली स्थिति उत्पन्न कर दी है।(RAS.:03,MPPCS.:(24)
  37. आम खाने से काम/मतलब, पेड़ गिनने से क्या काम/लाभ ——-(फल या परिणाम से मतलब रखना और व्यर्थ के तर्क से दूर रहना) – पहले आप हलुवा खाइए। इसको कैसे बनाया जाता है के चक्कर में मत पड़िए क्योंकि कहावत है आम खाने से काम, पेड़ गिनने से क्या काम।
  38. आये की खुशी न गये का गम ———(हर हालत में एक जैसी विरक्ति) —— नेताजी सादा जीवन उच्च विचार वाले व्यक्ति है। वे हर हाल में खुश रहने वाले हैं, उनके लिए न आये की खुशी न गये का गम।
  39. आस-पास बरसे दिल्ली पड़ी तरसे ———(जिसको आवश्यकता हो उसे न मिले) ——– इतने परिश्रम के बाद भी जटाशंकर को घनी बस्ती में किराये पर कमरा न मिल पाना आस-पास बरसे दिल्ली पड़ी तरसे के समान है।(Upper Sub.:06)
  40. आसमान का थूका मुंह पर आता है ———-(बड़े लोगों की निंदा करने से अपनी ही बदनामी होती है) ——- संत-महात्माओं को आप क्यों बुरा-भला कह रहे हैं, आप ये नहीं जानते कि आसमान का थूका मुंह पर आता है ?(MPPCS:06)
  41. आसमान/ताड़ से गिरा खजूर में अटका ———-(एक मुसीबत से निकलकर दूसरे में सना, कि काम का बड़ी जगह में ठीक होकर छोटी जगह में रुक जाना) —- ले वन लाल फीताशही के कारण हमारी योजनाओं के अनेक कार्यक्रम कार्यान्वित नहीं हो पाई, क्योंकि आसमान से गिर कर वे खजूर में अटक जाते हैं।
  42. आँख का अन्धा गाँठ का पूरा ——-(धनी किन्तु मूर्ख)——— रमेश की हरकतें बताती हैं कि वह आँख का अन्धा गाँठ का पूरा है।
  43. आधी छोड़ पुरी/सारी को धावे आधी मिले न पूरी पावे/आधी तज सारी को धावे आधी रहे न सारी पावे —-(अधिक लालच करने से गाँव की भी हानि होती हैं) ———- मोहन अच्छी खासी आभूषणों की दुकान छोड़कर लखपति बनने के लालच में सट्टे के धन्धे में लग गया जिसमें उसकी सारी जायदाद नीलाम हो गई ठीक ही कहा है-आधी छोड़ पूरी को धावे आधी मिले न पूरी पावे।
  44. ऑखें बिछाना ——-(हृदय से आदर करना) ——-इतना बड़ा अधिकारी हो जाने के बावजूद जब भी मैं उसके पास पहुंचता है, वह आँखे बिछा देता है।
  45. आँखों में खटकना ——-(बुरा लगना) ——अपने घृणित कार्यों के कारण वह हमेशा मेरी आँखों में खटकता रहता है।
  46. आँखों में धूल झोंकना ——-(धोखा देना) ——-मैं उस पर विश्वास करता रहा और वह मेरी आँखों में धूल झोंक कर दूसरे से इश्क लड़ाती रही।
  47. आँखों में रात काटना ——(सारी रात जागते रहना) ——–पल्लवी की नाजुक हालत के कारण मुझे आँखों में रात काटनी पड़ी थी।
  48. आँच आना ——–(हानि पहुँचना) ——–रमेश बदमाशों से ऐसा निबटा कि राजेश को जरा भी आंच नहीं आयी।
  49. आकाश/आसमान टूट पड़ना ——(अरमात विपत्तियों का आना) ——एक दुर्घटना में पति की मृत्यु के पश्चात् शीली पर आकाश टूट पड़ा।
  50. आकाश कुसुम होना ——(पहुँच से बाहर होना) ——-आम आदमी के लिए अब विधायक का पद आकाश कुसुम हो गया है।
  51. आटा-दाल का भाव मालूम होना ——-(कष्टों का अनुभव होना) ——इस महँगाई में मकान बनाओगे तो आटे-दाल का भाव मालूम हो जायेगा ।
  52. ऑखों का तारा होनी ———(अत्यन्त प्यारा) ——-हर बेटा अपनी माँ की आँखों का तारा होता
  53. आवाज उठाना ——–(विरोध प्रकट करना) ———सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध अब आम आदमी भी आवाज उठाने लगा है।
  54. आँखों से गिरना ——-(सम्मान खो देना) ——-जब से उसने यह कुकर्म किया है, वह मेरी आँखों से गिर गया है।
  55. आँखों में बसना ——–(अत्यन्त प्रिय होना) ——–मीराबाई की आँखों में सलोने श्याम की सूरत हमेशा के लिए बस गयी थी।
  56. आँसू पीकर रह जाना —–(चुपचाप दुःख सह लेना) —-बाढ़ में उसका सब कुछ नष्ट हो गया और वह बेचारा आँसू पीकर रह गया।
  57. आँखों में खून उंतर जाना ——-(क्रोध करना, क्रोध से ऑखें लाल हो जाना) —–आतंकवादियों की हरकत देखकर कमांडर की आँखों में खून उतर आया था।
  58. आँख मिलाना ———–(सामना करना) ——-अपनी गलती को जानकर वह आँख नहीं मिला सका।
  59. आस्तीन का साँप होना ——–(विश्वासघाती होना) —–कल तक मैं तुम्हें अपना विश्वास-पात्र समझता था। आज मैंने जाना कि तुम आस्तीन के साँप हो।
  60. आसमान से बातें करना/आकाश से बातें करना ——-(बहुत ऊँचा होना) —–दिल्ली की कुतुबमीनार आकाश से बात करती है।
  61. आसमान सिर पर उठाना ——–(बहुत अधिक जिद करना) —–वीडियो गेम के लिए राजू ने आसमान सर पर उठा रखा है, अब तो लाना ही पड़ेगा।
  62. आकाश के तारे तोड़ना/अम्बर के तारे तोड़ना —-(असम्भव कार्य करना) ——ईश्वर को चुनौती देकर तुम आकाश के तारे तोड़ना चाहते हो ?
  63. आकाश पाताल का अन्तर/जमीन आसमान का अन्तर ——(बहुत बड़ा अन्तर) ——-राधेश्याम जी और रामा प्रसाद के व्यवहार में आकाश पाताल का अन्तर है।
  64. आँखे फाड़कर देखना ——-(उत्सुकता से घूरना) ——-आँखें फाड़कर क्या देख रहे हो? जो होना था सो हो चुका।।
  65. आँचल पसारना ——–(दया की भीख माँगना) ——-मैं आँचल पसारकर विनती करती हैं, की मेरी बेटी को तलाक न दो।
  66. ऑख कान खोल कर चलना ——-(सावधान होकर चलना) —–अधिकतम व्यस्त मार्ग से गुजरते समय आँख-कान खोलकर चलना चाहिए।
  67. आकाश-पाताल एक करना/जमीन आसमान एक करना ——(सारा प्रयास कर डालना) ——–इस हत्या का सुराग लगाने के लिए पुलिस ने आकाश-पाताल एक कर दिया।
  68. आँधी के आम ——-(सामयिक लाभ) ——–अचानक शेयर बाजार में आये उछाल से शेयर धारकों को आँधी के आम मिल गये।।
  69. आग लगाकर पानी को दौड़ना —–(पहले झगड़ा करवाना, शान्ति का प्रयास करना) —–अमेरिका की विदेश नीति आग लगाकर पानी को दौड़ना जैसी है।
  70. ऑच न आना —–(आपत्ति से बच जाना) ——भ्रष्टाचार के मामले में अनेक अधिकारी पकड़े गये, किन्तु थानेदार पर कोई आँच नहीं आया।
  71. आँच न आने देना ——-(जरा भी कष्ट या दोष न आने देना) —–तुम निश्चिन्त रहो। तुम पर ऑच न आने दूंगा।
  72. आँख मारना —-(इशारा करना) ——–जैसे ही साथी ने आँख मारा जेब कतरा भाग खड़ा हुआ।
  73. आगा पीछा करना ——–(हिचकिचाना) —— दीन दुखियों की सहायता करने में आगा पीछा नहीं करना चाहिए।
  74. आगा-पीछा न देखना —–(बिना विचारे काम करना) —–आगा-पीछा न देखकर काम करने वाले बाद में पछताते हैं।
  75. आटा गीला होना —–(संकट में और संकट का आ जाना) ——-कंगाली में आटा गीला होना स्वाभाविक है।
  76. आसमान पर उड़ना/आसमान में उड़ना ——(कल्पना में उड़ान भरना) ——-अपने किये गये कार्यों को नहीं देखते व्यर्थ में आसमान में उडते फिर रहे हैं।
  77. आधा तीतर-आधा बटेर ——(सुचारू रूप से नहीं), —-हर कार्य को सुचारु रूप से करना चाहिए: आधा तीतर आधा बटेर वाली रिथति किस काम की?
  78. आठ-आठ ऑसू रोना ——-(अत्यधिक रोना) ——-पिताजी व मृत्यु पर सुमन ने आठ-आठ ऑसू रोये ।।
  79. आग में घी डालना ——-(कोध भड़काना) ——परिवार में विघटन देखकर उसने डाई कराकर आग में घी डालने का कार्य किया।
  80. आँखों में चर्बी चढ़ना/आँखों में चर्बी छाना —–(अधिक घमण्ड होना) ——अजय अपना अभावग्रस्त जीवन भूल गया है, अब तो उसकी आँखों में चर्बी चढ़ गई है।
  81. आँखें तरसना ——–(देखने को इच्छुक होना) ———–उसके पौरुष को देखने के लिए मेरी आँखें तरस रही हैं।
  82. आँख चुराना ———-(छिप जाना) ———जब से उमेश को चोरी में पकड़ा गया वह अपनी से आँख चुराता फिरता है।
  83. आँखें फेर लेना —-(प्रतिकूल हो जाना) ——–मेरे दुर्दिन आने पर कई मित्रों ने आँखें फेर ली।
  84. आँखों का काँटा होना/आँखों का काँटा बनना —-(बुरा लगना) —–अच्छा काम करने वाले बुरे लोगों की आँखों का काँटा होते हैं।
  85. आग में कूदना —–(आपत्ति में पड़ना) ——देश के सपूत अपने देश की आने के लिए आग में कूदने को तैयार रहते हैं।
  86. आड़े हाथों लेना ——(बुरा भला कहना) —-रेल भाड़े और यात्री किराया में वृद्धि की घोषणा पर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया।
  87. आँखों में सरस फूलना —–(नशे में होना, विवेक न होना) ——-क्या तुम्हारी आँखों में सरसों फूली है कि अपना भला-बुरा नहीं सोच सकते?
  88. आसन डोलना ——(विचलित होना) —–धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाया करता है।
  89. आँख बन्द करके काम करना ——–(लापरवाही से काम करना) ———–आँख बन्द करके काम करने से अपना ही अहित होता है।
  90. आँख भौं चढ़ाना —-(गुस्सा करना) —–छोटी-छोटी बातों पर आँख भी चढ़ाना तुम्हें शोभा नहीं देता।
  91. आग फैंस का बैर होना ——–(जन्मजात शत्रु होना) ———साँप और नेवले में आग फैंस का बैर होता है।
  92. आग बबूला होना ——(अत्यन्त क्रोधित होना) —-छोटी-छोटी बातों पर आग बबूला होना तुम्हारी स्वभावगत कमजोरी है।
  93. आवाज बुलंद करना —–(विरोध करना)——-संसद में विरोधी दलों के लोग अपनी आवाज खूब बुलंद करते हैं।
  94. आसमान पर थूकना ———(महापुरुषों का निरादर करना) राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को अपशब्द कहना आसमान पर थूकना है।
  95. आँखें चार होना ——-(एक दूसरे को देखना) ——-एक दिन अचानक स्टेशन पर अनामिका से आँखें चार हुई और प्यार हो गया।
  96. आँसू पोछना ——–(ौर्य प्रदान करना) ——–आपत्ति के समय पर मित्रगण ही आँसू पोछते हैं।
  97. आपे से बाहर हो जाना/आपे में न रहना ———(अत्यन्त क्रोधित होना) —- उसके अपशब्द कहते ही रमेश आपे से बाहर हो गया।
  98. आँचल पकड़ना —-(सहारा लेना) ———-जब तुम्हारा ऑचल पकड़ लिया है तो मुझे क्या चिंता।
  99. आँख आना ——(आँख दुखना) —–न जाने, किस चीज ने काट लिया है, आँख आ गयी है।
  100. आँख उठाना ——–(ताकना) ——आँख उठाकर देखो, कोढ़ी के रूप में प्रभु आये हैं।
  101. आँख उठाकर न देखना ——(तिरस्कार करना) ——-हमारे आने पर उसने आँख उठाकर भी न देखा।
  102. आँख का काजल ——–(अत्यंत प्रिय) ——–विक्रान्त तो गरिमा की आँख का काजल है।
  103. आँख रखना ————(निगरानी करना) ———विदेशों से आये लोगों पर स्थानीय प्रशासन आँख रखती है।
  104. आँख लगना/आँख लग जाना ——(झपकी आना) ——-सफर में जैसे ही मेरी आँख लगी उचक्कों ने मेरा सूटकेस गायब कर दिया।
  105. आँखें तरेरना ———(क्रोध करना) ——-हेडमास्टर के आँख तरेरते ही शरारती सन्तोष की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी।
  106. आँखें नीची होना ———(लज्जित होना) ———पुत्र की करतूतों को सुनकर आज मेरी आँखें नीची हो गई
  107. आँखें मूंदना ——-(मर जाना) ——–पिता के आँख मूंदते ही दोनों बेटों ने जायदाद बाँट ली।
  108. आँखों का काजल चुराना ——–(सफाई से चारी करना) ——सेठजी तिजोरी की चाभी अपने तकिए के नीचे रखकर निश्चिन्त सोते थे लेकिन उन्हें क्या पता था कि आज के जमाने में ऐसे भी चोर हैं जो आँखों का काजल चुरा लेते हैं।
  109. आँख मैली करना ———(नीयत खराब करना) ——-दूसरे के कमाई और धन पर आँख मैली करना पाप है।
  110. आँखों में खून उतरना ——(गुस्से से आँखे लाल हो जाना) ——उस लड़के के लड़की के साथ गुंडे की बदमाशी देखकर मेरी आँखों में खून उतर आया।
  111. आँखों में गड़ जाना ——-1.(प्राप्त करने की इच्छा होना) ——–शिल्पी मेले में रखी गणेश की मूर्ति मेरी आँखों में गड़ गयी है। —–2.-(बुरा लगना) ——–उसका बढ़ता ठाट-बाट पड़ोसी की आँखों में गड़ गया।
  112. आँख लगाना ——-(बुरी अथवा लालच भरी दृष्टि से देखना) ———पाकिस्तान अब भी कश्मीर पर आँख लगाये हुए है।
  113. आँखें चमकना ——–(प्रसन्न होना) ———-कारगिल विजय का समाचार सुनकर प्रधानमंत्री की आँखें चमक उठीं।
  114. आँखों में पानी भर आना ————–(द्रवित होना) —————गुजरात के भूकंप से हुई दुर्दशा का वर्णन सुनकर सम्पूर्ण देशवासियों की आँखों में पानी भर आया ।(IAS.:09)
  115. आँखें लाल-पीली करना ——-(क्रोध करना) ———बच्चों की छोटी-मोटी गलतियों पर शिक्षकों का आँखें लाल-पीली करना अच्छी बात नहीं।
  116. आँखों पर पर्दा पड़ना ——–(जानकारी न होना) —–अभिमान के कारण उसकी आँखों पर पर्दा ‘पड़ा हुआ है, तभी तो वस्तु स्थिति को जानने में वह असमर्थ है।
  117. आँखें बदल जाना —-(अपनापन न रहना) ———आजकल उसकी आँखें बदल गयी हैं, तभी तो वह मेरे विरुद्ध दूषित प्रचार करता फिर रहा है।
  118. आँख बचाना ———–(कतराना) ————पुलिस से आँखे बचाकर चोर कब तक बच सकता है।
  119. आँखें सेंकना ———–(देख सुनकर अनुभव करना) ——–मेले में मनचले युवक आँखे सेकने ही तो जाते हैं।
  120. आग लगने पर कुआँ खोदना ——(पहले से ही कोई उपाय न करना) ——- परीक्षा के एक दिन पूर्व तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को देखकर आग लगने पर कुआँ खोदना” वाली कहावत याद आती है।
  121. आगा-पीछा करना —-(हिचकिचाना) ——-असहाय की सहायता करने में आगा-पीछा नहीं करना चाहिए।
  122. आगे का पैर पीछे पड़ना —–(भाग्य उलटा होना) ————-इन दिनों मैं जो भी काम करता हूँ, आगे का पैर पीछे को पड़ता है। समझ में नहीं आता क्या करूँ ?
  123. आड़े आना ———–(मुसीबत में मदद करना) ——कृष्ण यदि द्रौपदी के आड़े न आते तो पाण्डवों के रहते भी उसकी लाज कैसे बच पाती ?
  124. आ बनना ————(मुसीबत पड़ना) ————जब मेरे सिर पर आ बनी तब सबने मुँह मोड़ लिया।
  125. आव देखा न ताव ———–(बिना कारण) ———-बच्चों को लेकर पति-पत्नी में झगड़ा हुआ और पत्नी ने आव देखा न ताव बच्चों को पीटना शुरु कर दिया।
  126. आसमान पर चढ़ा देना ———-(बहुत प्रशंसा करना) ———-एक फिल्म के हिट होते ही मीडिया ने सनी लियोन को आसमान पर चढ़ा दिया।
  127. आसमान पर चढ़ना ——–(अत्यन्त अभिमान करना) ——इन्टरमीडिएट पास करके तुमने ऐसा कौन सा महान कार्य किया है जो आसमान पर चढ़े फिरते हो।
  128. आसमान पर दिमाग होना ———-(बहुत घमंडी होना) ———पत्रकारिता में थोड़ी सफलता क्या पाई है कि हीं आसमान पर उसका दिमाग हो गया है।
  129. आँखों के आगे अंधेरा छा जाना ———-(संसार सूना सा प्रतीत होना/बेहोश हो जाना) ——–जब कैकेयी ने राजा दशरथ से राम का वनवास मांगा तो दशरथ की आँखों के आगे अंधेरा छा गया ।
  130. आँखों में बैठना/पलकों पर बैठना ——-(बहुत आदर सत्कार करना) ——आप मेरे घर आयेंगे तो मैं आपको अपनी आँखों पर बैठाऊँगा।
  131. आग में घी डालना ——–(उकसाना अथवा भड़काना) ———झगड़ा शान्त करना तो दूर रहा आप लोग तो आग में घी डाल रहे हैं।
  132. आसमान फट पड़ना ——–(अचानक आफत आ पड़ना) —-एक तो भूकंप उस पर पति की मृत्यु शीला पर तो जैसे आसमान ही फट पड़ा।
  133. आनन फानन में — (शीघ्र) ——राजीव गाँधी की मृत्यु का समाचार आनन फानन में सारे विश्व में फैल गया।
  134. आटे के साथ घुन भी पिसता है ——(बुरे की संगति से निरपराध भी दण्ड का भागी बनती है) —आटे के साथ घुन भी पिसत है इसीलिए निर्दोष होते हुए भी राकेश को पन्ना के साथ जेल की हवा खानी पड़ी।
  135. आस्तीन चढाना —–(लड़ने को तैयार होना) ——विनय से क्या बात करूं? वह तो हमेशा आरतीन चढ़ाये रहता है।
  136. आँखों का पानी गिरना/आँखों का पानी ना/आँखों का पानी भरना ——(निर्लज्ज होना) —-उसकी आँखों का पानी गिर गया है इसीलिए वह सबके सामने भद्दे नजीक करता (UPPCS.:08)
  137. आकाश का चाँद हाथ आना —-(दुर्लभ वस्तु मिलना) —-तुम्हें अत्यधिक प्रसन्न देखकर लगता है आकाश का चॉद तुम्हारे हाथ आ गया है।
  138. आँख का अन्धा गाँठ का पूरा —–(बेवकूफ लेकिन धनवान) ——–उसे ठगना बहुत आसान है क्योंकि वह आँख का अन्धा गाँठ का पूरा है। (UPPCS:03. IAS.:91:92)

  1. ओखली में सिर देना —–(जानबूझ कर संकट मोल लेना) —— पाकिस्तान ने भारत में अपरोक्ष रूप से आतंकवाद को बढ़ावा देकर ओखली में सिर दे दिया है।
  2. ओढ़ लेना —-(सिर पर लेना, उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले लेना) —— मैं उसका एहसानमन्द हैं। वह मेरे बुरे कार्यों को भी अपने ऊपर ओढ़ लेता है।
  3. ओठ चबाना —-(क्रोध में आ जाना) —– रामू करेला से चिढ़ता है। उसके सामने जब भी कोई करेला कहता है, वह ओठ चबाने लगता है।
  4. ओस के चाटे प्यास नहीं बुझती —-(बड़ी आवश्यकता छोटी वस्तु से पूर्ण नहीं होती)——सोहन ने व्यापार के लिए मोहन से चार हजार रुपये माँगे, लेकिन उसने केवल पचास रुपये दिये, इस पर सोहन ने कहा कि ओस चाटे प्यास नहीं बुझती है।
  5. ओठ चिपकना ——(खूब मीठा होना) ——– ऐसी चाय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है जिसे पीने से ओठ चिपकने लगे।
  6. ओछे की प्रीति : बालू की भीति ——-(दुष्ट व्यक्ति की मित्रता स्थायी नहीं होती) ——— रमेश और दिनकर दोनों दुष्ट थे और दोनों मित्र थे, परन्तु कुछ दिनों बाद ही दोनों की मित्रता समाप्त हो गयी, सच है ओछे की प्रीति बालू की भीति के समान होती है।
  7. ओझाई करना ———(भूत-प्रेत झाडना, रूठे व्यक्ति को मनाना) —— (i) शीला को हिस्टीरिया की बीमारी है उसे अस्पताल ले जाओ, ओझाई मत करो।(ii) सुबह से शाम तक औझाई करने के बावजूद वह पत्नी को नहीं मना पाया। आखिर वह मायके चली ही गयी।
  8. ओठ तक न हिलना —–(मुख से शब्द न निकलना) —— नीलम ने मंगू से शादी करने से अचानक इन्कार कर दिया। यह सुनकर मंगू के ओठ तक नहीं हिले ।।
  9. ओस का मोती ———(सुन्दर, किन्तु क्षणिक अल्पायु) ——- प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए बनाया गया यह पंडाल बिल्कुल ओस का मोती है।
  10. ओस पड़ जाना ——-(शर्म–शर्म हो जाना) ——— पूनम और अभय छुपकर फिल्म देखने गये थे। वहां पर मुझे देखते ही दोनों पर ओस पड़ गई।
  11. ओठ बिचकाना ———-(घृणा प्रकट करना) ——- न जाने क्यों मुझे देखते ही अनु ओठ बिचकाने लगती है। • ओले पड़ना (विपत्ति आना) – उसने पहले ही बहुत दुःख सहे हैं और अब पति की मृत्यु से तो उसके सिर पर ओले ही पड़ गये।(UPPCS:96)
  12. औघर की झोली ——(अनेक करामाती वस्तुओं का संग्रह) —— लोग उसे अपने पास हर समय बहुत सी वस्तुओं का संग्रह रखने के कारण औघर की झोली कहकर बुलाते हैं।
  13. औघट चाल चलना ——-(असली रास्ता छोड़कर चलना) —– वह स्कूल से आते समय हमेशा औचंट चाल चलता है।
  14. औधी खोपड़ी होना ——(निरामूर्ख) ——– उसकी औधी खोपड़ी में तुम्हारी तर्कपूर्ण बातें नहीं आयेंगी।
  15. औंधे मुंह गिरना ——(पराजित होना) —– आज अखाड़े में राम को पहलवान ने एसा दाँव मारा कि वह फौरन औंधे मुँह गिर गया।
  16. औचट में पड़ना ——-(संकट में पड़ना) ——– आस्ट्रेलिया अपनी खराब गेंदबाजी के कारण आज औचट में पड़ गयी।
  17. औने-पौने में बेचना ——-(जो कुछ मिले उसी मूल्य पर बेच देना) ——– घर पर रखे-रखे पुरानी साइकिल क्या होगा। इसको तुरन्त ही औने-पौने में कबाड़ी को बेच दो।
  18. और का और हो जाना ——(बदल जाना) ———- मैंने सोचा कुछ था लेकिन और का और हो गया।
  19. और घर देखना ———-(दूसरे के यहाँ जाना) ——– भिखारियों को लोग हमेशा ही और घर देखने को कहकर भगा देते हैं।
  20. और ही रंग खिलाना ————(कुछ विचित्र करना) ——– आजकल लोगों से अक्सर उलझ कर तुम कुछ और ही रंग खिला रहे हो।
  21. ओछे की प्रीति बालू की भीति —(नीच की मित्रता-क्षण भंगुर अथवा अस्थायी होती है) —– उस निम्न कोटि के संस्कार वाले व्यक्ति से मैंने व्यर्थ में ही मित्रता कर ली थी। जब उसने मेरे साथ विश्वासघात किया तब पता चला कि ओछे की प्रीति बालू की भीति की तरह होती है।
  22. ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना —-(कठिन काम प्रारम्भ करने पर कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए) — साहसी और दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति ही किसी कार्य को पूरा कर पाते हैं, जो ओखली में सिर डालने पर मूसलों से नहीं डरते।।
  23. ओछे के घर जाना, जनम-जनम का ताना —-(नीच व्यक्ति किसी का कोई काम करके उसे जीवन पर्यन्त ताने देता रहता है) —- सरनाम सिंह ने एक दो बार मेरी सहायता क्या कर दी है अब वह सभी जगह इसी बात को कहता फिरता है। सच है, ओछे के घर जाना, जनम-जनम का ताना।
  24. ओस चाटे प्यास नहीं बुझती ——-(बहुत कम वस्तु से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है) —– अपनी बहन की शादी में दहेज के लिए एक मित्र से पैसा मिलने का आश्वासन था। उन्होंने केवल तीन सौ रुपया दिया जो ओस चाटे प्यास नहीं बुझती कहावत को चरितार्थ कर रहा था।
  25. औसर चूकी डोमिया गावे ताल-बेताल —-(समय के चूक जाने पर उत्तेजना के वशीभूत होकर उलटा-सीधा बकना) —– जो कुछ माँगना था शादी के पूर्व तय कर लेना चाहिए था। अब शादी हो जाने के बाद उत्तेजना के वशीभूत होकर आपका उलटा सीधा बकना, और चूकी डोमिया गावे ताल बेताल वाली कहावत है।

इ ईं उ ऊँ ऋ

  1. इधर-उधर करना ——–(अस्त-व्यस्त करना) ——वह अपने कार्य को सुव्यवस्थित ढंग से न करके पूरे समान को इधर-उधर कर देता है।
  2. इधर का न उधर का —–(बे-आबरू होना, स्थिति समाप्त कर लेना) —-राजेश परिवार से अलग होकर न इधर का रहा न उधर का।।
  3. इधर-उधर की हाँकना ———-(बेकार की बातें करना) ———–ज्ञान ने आज बहत ईधर-उधर की हॉकी।
  4. इन्द्रासन की परी होना ———(बहुत सुन्दर होना) ——-प्रिये तुम दिखने में इन्ट्रासन की परी लगती
  5. इस कान से सुनकर उस कान से उड़ा देना ———-(ध्यान न देना) —–उसने आज अपने अधिकारी के आदेश को इस कान से सुनकर उस कान से उड़ा दिया।
  6. इतिश्री करना ——–(समाप्त करना) ——–कक्षा में आज आचार्य जी ने शाकुन्तलम् के अन्तिम अध्याय की इतिश्री की।
  7. इतिश्री होना ——–(समाप्त होना) ———महात्मा गांधी की मृत्यु के साथ ही एक युग की इतिश्री हो गई।
  8. इलायची बाँटना —–(दावत देना) —–ब्राह्मणों को आज उसने इलायची बाँटा।
  9. इन्द्र का अखाड़ा ——(विलास में डूबा हुआ समाज) —–आज राजनीतिक लोग सत्ता को इन्द्र का अखाड़ा बनाये हुए हैं।
  10. इज्जत बिगाड़ना ——(किसी की मर्यादा भंग करना) ———-कुछ अराजक तत्वों ने विनोद को कक्षा में पीटकर उसकी बनी बनाई इज्जत को बिगाड़ दिया।
  11. इशारे पर नाचना ———(गुलाम बनकर रह जाना) ———-रोहन का अपना कोई अस्तित्व नहीं है। वह अपनी पत्नी के इशारों पर नाचता है।
  12. इन्द्रायन का फल ——(देखने में अच्छा, पर गुणों में खराब) —-आजकल के अधिकांश स्नातक इन्द्रायन का फल ही सिद्ध हो रहे हैं।
  13. इधर की उधर लगाना —-(चुगली करना) ——-विजय की बात का क्या भरोसा ? वह तो सदा इधर की उधर लगाया करता है।
  14. इस हाथ ले; उस हाथ दे ——-(लेन-देन साफ कना) ——पिला बकाया खत्म करके नये हिसाब में इस हाथ ले, उस हाथ दे की पद्धती सुखदायक है।
  15. इधर की दनिया उधर होना ———-(अनहोनी होना) ———उस आवारे का उत्तीर्ण होना इधर की दुनिया उधर होना है।
  16. इज्जत अपने हाथ होना ——–(मर्यादा का वश में होना) —–आपका व्यवहार ठीक है तो आपकी अपकी इज्जत होगी। अपनी इज्जत अपने हाथ है।
  17. इज्जत में बट्टा लगाना/इज्जत पर पानी फिरना ——(इज्जत खराब करना प्रतिष्ठा कम होना) —–महेश के बुरे कामों से शर्मा परिवार की इज्जत में बट्टा लग गया।
  18. इल्लत पालना ——–(झझट पोल लेना) ——मैंने हवाला काण्ड में गवाही देकर बेकार में ही इल्लत पाल ली।
  19. इहा कुम्हड़ बतिया कोउ नाही ——-(यहाँ कोई कायर नहीं) — आँखे न तरेरो, इहा कुम्हड़ बतिया कोउ नाहीं ।
  20. ईंट का जवाब पत्थर से देना ——–(क्रिया के जवाब में कड़ी प्रतिक्रिया दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना/बराबर कर देना) —-भारत को चाहिए कि अब धैर्य छोड़कर पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से दे।।
  21. ईंट से ईंट बजाना ———-(बर्बाद कर देना/कड़ा मुकाबला करना/नष्ट भ्रष्ट कर देना) –आतंकवादी कितने भी संगठित क्यों न हो, चुस्त-दुरूस्त प्रशासन उनकी ईंट से ईंट बजाने में सक्षम होता है ।
  22. ईंट का घर मिट्टी होना ——(अच्छा काम बिगड़ जाना) ——लालता बाबू के जुआ खेलने की प्रवृत्ति के कारण उनका ईंट का घर मिट्टी हो गया।
  23. ईद का चाँद होना —-(बहुत समय बाद दिखायी देना) ——–शालू रीवा क्या रहने लगी; सचमुच ईद का चाँद हो गयी। (Low Sub:04,UPPCS.:93-95:98,IAS.:84:86:89:98:04)
  24. ईश्वर की माया : कहीं धूप कहीं छाया ——-(भाग्य की विचित्रता) ——-राजस्थान का सूखा और उड़ीसा की बाढ़ की स्थिति में ईश्वर की माया : कहीं धूप कहीं छाया को चरितार्थ कर दिया।
  25. ईंट के पीछे टर ——(टाल देना, समय पर काम न हो तो बेकार) ——लालफीताशाही के कारण अनेक महत्वपूर्ण विभागों में महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय तब लिया जाता है जब समय निकल जाता है। यहाँ ईंट के पीछे टर की कहावत चरितार्थ होती है।
  26. ईमान बगल में दबाना ——(बेईमानी करना) ——व्यापारी से हेराफेरी करके उसने अपना ईमान बगल में दबा दिया।
  27. ईमान बह जाना ——-(धर्म नष्ट हो जाना) ——-मांस मदिरा का सेवन करके वर्तमान में हिन्दू समाज में ब्राह्मणों ने अपना ईमान बहा दिया है।
  28. ईंट तक बिकवा देना ——(सर्वस्व नष्ट करना) ——-विजय ने राम के साथ विश्वासघात करके इस हाथ दे, उस हाथ ले (i) (सम्मान या लाभ देने से सम्मान या लाभ मिलता है) – दूसरों का सम्मान करने से स्वयं को सम्मान मिलता है। ठीक ही है- इस हाथ दे उस हाथ ले ।। (UPPCS.:80,Upper Sub.:08) (ii) ——–(एक ओर से लाभ कराके दूसरी ओर हानि में डालना) – विनोद की हरकतें इस हाथ दे, उस हाथ ले वाली होती हैं देखने में फायदेमंद लेकिन वास्तव में नुकसानदायक।
  29. इतना खाये जितना पचे ———–(सामर्थ्य के अन्दर कार्य करना चाहिए) —– लड़के के जन्मदिन पर भारी कर्ज लेकर उसने मोहल्ले भर को पार्टी दे दी लेकिन पूरी तरह से कंगाल हो गया इसलिए ठीक ही कहा गया है कि इतना खाए जितना पचे। (APO:01:06)
  30. इतनी सी जान, गज़ भर जबान ——–(उम्र के हिसाब से अधिक बोलना) —— रामू का लड़का आठ वर्ष की ही उम्र में व्यंगपूर्ण बातें करता है। इतनी सी जान उन भर कीं जबान ।
  31. इन तिलों में तेल नहीं —–(यहाँ से कुछ भी हासिल होने को नहीं) —– मोहन के दरवाजे पर भीख मिलने की आशा में भिखारी काफी देर खड़ा रहा। अंत में कुछ भी न मिलने पर भिखारी ने कहा कि इन तिलों में तेल नहीं है। (BPSC:03:05)
  32. इक नागिन अरु पंख लगाई ——(एक दोष के साथ दूसरा दोष भी)—– रामू एक तो बुद्ध किस्म का है साथ ही साथ कक्षा में अनुपस्थित रहता है, इक नागिन अरु पंख लगाई (BPSC.05)
  33. इधर कुआँ उधर खाई ———(दोनो तरफ मुसीबत) —– रात में जाते हैं तो डाकुओं का भय है। नहीं जाते हैं तो परीक्षा छूटती है, अर्थात् इधर कुआँ उधर खाई (BEd.:05)
  34. इधर न उधर, यह बला किधर ——-(विपत्ति का आ जाना) —- सुबह मुँह अँधेरे ट्रेन पकड़ने स्टेशन जाले समय सुनसान मार्ग में राहजनों द्वारा लूट लिये जाने पर यही विचार कौंधा इधर न उधर, यह बला किया। (RAS.:(07)
  35. इसके पेट में दाढ़ी है ——–(उम्र अधिक) —– श्याम जी का 10 वर्षीय लड़का रामायण की कहानी इतने मार्मिक ढंग से सुनाता है जैसे इसके पेट में दाढी हो।
  36. इस घर का बावा आदम ही निराला है ——(सब कुछ निराला है) —– इस कार्यालय में सभी बाबू बारह बजे आते हैं लगता है इस घर का बाबा आदम ही निराला है। (RAS.:03)
  37. इमली के पात पर बारात का डेरा —–(असम्भव बात) —— इस छोटे से कमरे में बीस आदमी ठहर लेंगे सोचना इमली के पात पर बारात का डेरा जैसा होगा । (Lok Sub.:07)
  38. ईश्वर की माया : कहीं धूप, कही छाया ———-(भाग्य की गति विचित्र है, ईश्वर की माया विचित्र है) —— 15 वर्षों के बाद उसे पहली सन्तान हुई सच-ईश्वर की माया : कहीं धूप कहीं छाया। (APO.:606)
  39. ईट की देवी, माँगे का प्रसाद ——(व्यक्ति के अनुसार आवभगत) —– आप जैसे निकृष्ट व्यक्ति को घर में घुस आने देना ही बहुत है, बैठने को कौन कहे ? व्यक्ति को देखकर आवभगत की जाती है-ईंट की देवी, माँगे का प्रसाद। (MPPCS.:(06)
  40. ईट फी लेनी, पत्थर की देनी —-(दुष्ट के साथ और अधिक दुष्टता) —– श्यामू ने दो-तीन दिन पहले राम को चार-छह थप्पड़ लगा दिये थे, कल रामू और उसके साथियों ने लाठी-डण्डों से मारकर श्यामू को लहूलुहान कर दिया – ईंट की लेनी, पत्थर की देनी
  41. उलटी माला फेरना ——–(अनिष्ट की कामना करना) —– अक्सर देखने में आया है कि लोग पड़ोसी की उन्नति नहीं देखते और उसके नाम की उलटी माला फेरते हैं जो कि बुरी बात है। (UPPCS :94,BPSC.:06)
  42. उल्टे उस्तरे (छूरे) से मूड़ना ——–(मूर्ख बना कर स्वार्थ सिद्ध करना) ——- प्रयाग में गंगा किनारे पंडों ने तीर्थ यात्रियों को उल्टे उस्तरे से मँड़ लिया। (Low Sub:06, UPPCS:96:00)
  43. उगल देना —-(भेद प्रकट कर देना) – पुलिस की पिटाई के सामने बदमाश सारी बात उगल देते हैं। (UPPCS.:96:2000)
  44. उतार चढ़ाव देखना ——-(अनुभव प्राप्त करना) —- तुम्हें शायद नहीं मालूम कि इन सफेद बालों ने कितने उतार-चढ़ाव देखे हैं।
  45. उधेड़ बुन में पड़ना ——-(सोच-विचार में पड़ना) – व्यर्थ की उधेड़बुन में क्यों पड़े हो, हिम्मत करके परीक्षा की तैयारी करो।
  46. उल्लू बनाना —(मूर्ख बनाना) – रमेश ने दिनेश को उल्लू बनाकर अपना काम निकाल लिया।
  47. उल्लू बोलना ——(उजाड़ हो जाना) —– गुजरात में आये भूकंप से भुज और कच्छ क्षेत्रों में उल्लू बोलने लगे।
  48. उल्लू सीधा करना —–(काम निकालना, स्वार्थ सिद्ध करना) —– विकास कार्यालय में शिव राम बहुत ही चालाक है। वह सभी अधिकारियों से अपना उल्लू सीधा कर लेता है। (UPPCS:02:04)
  49. उलटी गंगा बहाना ——(उलटा काम करना) ——- जयराम जैसे झगडालु व्यक्ति का समझौता के लिए तत्पर होना उलटी गंगा बहाने के समान है।
  50. उड़ती चिड़िया पहचानना ——(मन की बात जानना) – उसे धोखा देना आसान नहीं है, वह उड़ती चिड़िया पहचान लेता है ।
  51. उड़ती चिड़िया के पंख गिनना ——(विशेष जानकारी प्राप्त कर लेना) —— मेरे साथ रहते रहते महेश अब इतना सिद्धहस्त हो गया है कि वह उड़ती चिड़िया के पंख गिनने लगा
  52. उधार खाये बैठना —–(प्रतीक्षा में रहना) ——- रोहित अपने दुश्मन से बदला लेने का उधार खाये बैठा है।
  53. उठा न रखना —–(कोई कसर न रखना) —उसकी सफलता का राज यह है कि इस परीक्षा के लिए उसने कुछ भी उठा नहीं रखा था।
  54. उँगली उठाना —–(आलोचना करना) ——- जीवन में ऐसा कार्य मत करो, जिससे लोग उँगली उठायें।
  55. उल्लू का पट्ठा ————(मूर्ख) ——— कालिदास पेड़ कि जिस डाल पर बैठे थे, उसी को काटने के कारण, उन्होंने उल्लू का पट्टा वाला मुहावरा सिद्ध कर दिया।
  56. उलटे पाँव लौटना —-(शीघ्र लौटण “श लौटना) – —- विदुर दुर्योधन को युद्ध न करने को समझाने गये पर जिद्दी दुर्योधन के यहाँ से उन्हें उलटे पाँव लौट आना प ।।
  57. उल्लु फँसाना ——( मूर्ख बनाकर काम निकालना) – रहीम ने परीक्षा के दिनों में जॉनसन से किलाबें लेकर उसे अच्छा उल्लू फंसाया।
  58. उठ जाना ——(मरना) —- ईद के ही दिन सड़क दुर्घटना में बूढ़े मौल उठ संसार । उठ गये।
  59. उड़ती खबर —-(अफवाह) – उड़ती खबर है कि पाकिस्तान ने कश्मीर पर से अपनी दावेदारी उठा ली है।
  60. उलटी पट्टी पढ़ाना —–(बहकाना) – न जाने किसने उसको उलटी पट्टी पढ़ा दी, कि वह मुझे भी इस प्रकरण में दोषी समझ रहा है।
  61. उबल पड़ना —–( एक दम क्रोधित हो जाना) —– मास्टर जी बच्चों की जरा सी गलती पर उबल पड़ते हैं।
  62. उन्नीस बिस्वा —(अधिकांशतः)——- विकास के संबंध में मंत्रीजी का दावा उन्नीस बिस्वा सही है।
  63. उन्नीस पड़ना/उन्नीस होना —-(कुछ घटकर होना) —- हिमांशु बुद्धि में पारुल से उन्नीस पड़ता है।
  64. उड़न छु होना ——(गायब होना) —– पुलिस देखते ही पॉकेटमार उड़न छु हो गया
  65. उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना —–(धीरे-धीरे साहस को बढ़ावा देना) — भाई की दुकान में सहारा पाकर धीरे-धीरे दुकान पर कब्जा करके विजय बहादुर का मालिक बन जाना ऊँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना है। (UPPCS.:93:03)
  66. उँगलियों पर नाचना ——(किसी की इच्छाओं का तुरंत पालन करना) —– मोहन की पत्नी पतिव्रता एवं सुशील है इसलिए वह अपनी पत्नी की उँगलियों पर नाचता है। (IAS.:8183,UPPCS..96)
  67. उँगली पर नचाना —–(वश में रखना) —– कुछ प्रेमिकाएँ अपने प्रेमियों को उँगली पर नचाती हैं। -(MPPCS.:93,UPPCS.:96)
  68. उर्वशी होना ——(प्रिय होना) —- मेरी पत्नी मेरे लिए तो उर्वशी ही है।
  69. उड़ती तीर लेना ——(अकारण मुसीबत मोल लेना) —- श्याम जी ने वाहवाही लूटने के लिए उसको उत्तीर्ण कराने की जिम्मेदारी लेकर उड़ती तीर लिया। (RAS.:87)
  70. उलटा तवा ——(अत्यधिक काला) —– कलुआ तो बिल्कुल उलटा तवा है।
  71. उलटा पासा पड़ना ——(योजना के विपरीत कार्य होना) ——राघव जी ने विश्वनाथ के खिलाफ अफवाह फैला कर चुनाव जीतना चाहा था मगर उलटा पासा पड़ा और राघव जी ही चुनाव हार गये।। (IAS.:83)
  72. उन्नीस-बीस होना —–(करीब-करीब एक समान होना, बहुत मामुली सा अन्तर होना) —-दोनों कपड़ों की गुणवत्ता में उन्नीस बीस का अन्तर है।
  73. उतर गयी लोई तो धया करेगा कोई —-(प्रतिष्ठा के नष्ट होने पर कोई क्या बिगाड़ सकता है) —– नीरा अपने प्रेमी के साथ जब घर वापस आयी तो उसके घर वालों ने अपशब्द कहे तथा तिरस्कार करके घर से निकाल दिया। नीरा तथा उसका प्रेमी बगल में ही किराये का मकान लेकर रहने लगे। उतर गई लोई तो क्या करेगी कोई (UPPCS,759:07:12, RAS.:87:90)
  74. उलटा चोर कोतवाल को डॉटें ——(दोषी व्यक्ति निर्दोषी पर दोष लगाये/ अपराध करने पर जजित होने के बजाय अकड़ दिखाना) —– क्षेत्रीय विकास अधिकारी ने समय पर बीज उपलर्क नहीं कराया और ऊपर से किसानों को डॉट रहा था। यह तो यही बात हुई कि– उलटा चोर कोतवाल को डॉटे।
  75. उलटे बॉस बरेली को ——(विपरीत काम) —– आगरा का व्यक्ति दिल्ली से पेठा खरीद कर लाया तो लोगों ने कहा कि तुमने तो उलटे बॉस बरेली को वाली कहावत चरितार्थ कर दिया।
  76. उत्तम खेती, मध्यम बान, निकट चाकरी, भीख निदान ——(खेती का पेशा श्रेष्ठ द्वितीय कोटि का व्यापार, नौकरी उससे भी नीचा और भिक्षावृत्ति जीवन नियहि करने के लिए है) —— सफल वैज्ञानिक खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बना और सिर ऊँचा कर चलने वाले सफल किसान ने ठीक ही कहा है- उत्तम, खेती, मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी, भीख निदान।। (RAS.05)
  77. उलटी गंगा पहाड़ को चली —-(असंभव या विपरीत कार्य) —– शिव प्रकाश जैसे आवारा का परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाना उलटी गंगा पहाड़ को चली के समान है। (BEd.:(05)
  78. उलटे छुरे से मूड़ना —-(बहुत प्रताड़ित करना) —- चोरी करते हुए चोर रंगे हाथों पकड़ा गया और पुलिस ने उलटे छूरे से उसकी मुड़ाई की।
  79. ऊँची दूकान फीका पकवान —-(दिखावा ही दिखावा, आडम्बर ही आडम्बर) —- यह आवश्यक नहीं है कि बड़ी दुकान पर अच्छा सामान मिले। अक्सर ऊँची दुकान फीका पकवान वाली कहावत चरितार्थ होती है। (Low Sub:98,UPPCS:93:04-05,IAS..{35.10:13}
  80. ऊँट की चोरी निहुरे-निहुरे —–(प्रकट हो जाने वाले काम को छिप-छिप कर करना, किसी निन्दितं किन्तु बड़े कार्य को गुप्त रीति से करने की चेष्टा करना) —- खलिहान में पड़े अनोज को चोरों ने ऐसा गायब किया जैसे ऊँट की चोरी निहुरे-निहरे ।(RAS.:01:05)
  81. ऊँट रे ऊँट तेरी कौन-सी कल सीधी —-(प्रत्येक प्रकार से राजनीतिज्ञों की शतरंजी चालें देखकर धूर्त होना) —- नेताओं का कार्य कौन सा साफ-सुथरा है कि वे अपनी दुहाई देते फिरते हैं। राजनीतिज्ञों की शतरंजी चालें देखकर लगता है ऊँट रे ऊँट तेरी कौन-सी कल सीधी।
  82. ऊँट के मुंह में जीरा —–(अपर्याप्त, अल्प) —- दो सौ एकड़ खेत के किसान के लिए पॉच बोरी उर्वरक ऊँट के मुंह में जीरा के समान है!(UPPCS.:80,BDO.:76,BPSC:83:93,IAS.:95)
  83. ऊँट के गले में बिल्ली ——-(अनमेल संयोग) —– उच्च शिक्षा प्राप्त डा० महेश की शादी अशिक्षित ऊषा से ऊँट के गले में बिल्ली, वाली कहावत को चरितार्थ करती है ।(BPSC:06:07)
  84. ऊधो का लेना न माधो का देना ——(लटपट से बिल्कुल अलग रहना, किसी से किसी प्रकार का सम्बन्ध न रखना) — महेश केवल अपने काम से काम रखता है – न अधो का लेना न माधो का देना।
  85. ऊँट किस करवट बैठता है ——(काम का परिणाम अनिश्चित होना) —– इस प्रकरण में कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता। समय का इन्तजार कीजिए और देखिए ऊँट किस करवट बैठता है।
  86. ऋण चढ़ना —–(कर्ज बढ़ाना) —- अपनी लड़की की शादी में इतना अधिक खर्च करके उसने अपने ऊपर ऋण चढ़ा लिया है।
  87. ऋद्धि-सिद्धि पाना —-(समृद्धि और सफलता पाना) —– पोखरण में हुए परमाणु बम के परीक्षण. से भारत को ऋद्धि सिद्धि की प्राप्ती हुई है।

ए ऐं ओ औ

  1. एक ही थैली के चट्टे-बट्टे होना —–(सबका एक समान होना) – तुम्हें अपने ईमानदार होने की सफाई देने की कोई जरुरत नहीं है। मैं जानता हूँ, तुम दोनों एक ही थैली के चट्टे-बड़े (RAS.:92:02,UPPCS.:95:03:07:09, IAS.:88:02)
  2. एक के तीन बनाना —(अत्यधिक लाभ प्राप्त करना) – उस पर विश्वास मत करना, वह तो एक के तीन बनाता है।
  3. एक अनार सौ बीमार —( आवश्यकता से अधिक माँग) -.धोत्र में अधिक इमारतों के निर्माण होने के कारण राजगीरों की स्थिति एक अनार सौ बीमार जैसी हो गयी है। (IAS.:92:05.UPPCS:97:08)
  4. एक आँख से देखना —-(समान भाव से देखना) – इस संस्थान के निदेशक सभी विद्यार्थियों को एक आँख से देखते हैं। (UPPCS..74:8699:13.RAS.92:02)
  5. एक के तीन बनाना —(अत्यधिक लाभ प्राप्त करना) – उस पर विश्वास मत करना, वह तो एक के तीन बनाता है।
  6. ‘एक ढेले से दो शिकार करना/एक तीर से दो शिकार करना —-(एक कार्य से दो उद्देश्यों की पूर्ति करना) – हिन्दी साहित्य से परास्नातक करने के साथ ही सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी हो तो एक ढेले से दो शिकार हो जायेंगे।
  7. एक पंथ दो काज —-(एक कार्य के साथ दूसरा कार्य भी पूरा करना) — मनीष प्रयाग जाकर विवाह में सम्मिलित हुआ और संगम में स्नान भी कर लिया इस तरह एक पंथ दो काज हो गये। (IAS.:80:12)
  8. एक लाठी से सबको हाँकना/एक लकड़ी से हाँकना —(सभी के साथ समान व्यवहार) — थानेदार से यह उम्मीद की जाती है कि वह थाने में आये सभी व्यक्तियों को एक ही लाठी से हाँके। (UPPS.:73:75:13)
  9. एक आवाज —(संघटित मांग अथवा विचार प्रकट करना) – वेतन वृद्धि को लेकर सभी कर्मचारियों ने कारखाना स्थित कार्यालय में एक अवाज लगायी।
  10. एक खून —(जातीय प्रभाव) – आज कुछ स्वार्थी तत्त्व अपने स्वार्थ वश एक खून होने की दुहाई देते हैं।
  11. एक टक –(पलक झपकाए बिना) – किसी रोचक धारावाहिक को देखते समय वह तो एक टक टी० बी० पर निगाह लगाये रखती है।
  12. एक-एक करके –(फूट डाल कर, बारी-बारी से) — पड़ोसी ने एक-एक करके पूरे परिवार को अलग-थलग कर दिया।
  13. एक प्राणी दो शरीर —(घनिष्ठ मित्र) – धर्मेन्द्र और नफीस एक प्राण दो शरीर हैं।
  14. एक-एक की दस-दस बनाना —(झूठी बातें गढ़ना) – उससे कोई बात मत कहना, वह एक-एक की दस-दस बनाता है।
  15. एड़ी चोटी का जोर लगाना –(बहत परिश्रम करना या प्रयत्न करना) – पुलिस ने एड़ी चोटी का जोर लगाकर, हत्यारों को पकड़ लिया।
  16. एड़ी-चोटी का पसीना एक करना —-(कठिन परिश्रम करना) – परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए नीतू एड़ी-चोटी का पसीना एक कर रही है।(IAS,81:2000,RAS.2000:05:07)
  17. एड़ियाँ रगड़ना —(घिसना) (सिफारिश के लिए चक्कर लगाना) – परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए उसने काफी एडियाँ रगड़ी।
  18. एक और एक ग्यारह होना —(संघठन में शक्ति का होना) – पाकिस्तान के खिलाफ जंग में भारत और बांग्लादेश एक और–एक ग्यारह न होते तो बांग्लादेश की स्वतन्त्रता सदिग्ध होती। (IAS.:11:13, RAS..82:83, UPPCS.:98:09)
  19. एक-एक नस पहचानना —-(सब कुछ समझना) – हमसे छिपाना मुश्किल है क्योंकि, हम तुम्हारी एक-एक नस पहचानते हैं।
  20. एक घाट पानी पीना –(एकता और सहनशीलता का होना) – राजा विक्रमादित्य के समय में सामाजिक स्थिति ऐसी थी कि बकरी और शेर एक घाट पानी पीते थे।
  21. एक-एक कोना छान डालना –(सब जगह खोजना) – घर का एक-एक कोना छान डाला अंत में छोटे सरकार यहाँ मिले।
  22. एक टाँग पर खड़ा रहना –(सदा तैयार रहना) – वह तो बहुत ही परोपकारी व्यक्ति है हर एक की मदद के लिए एक टॉग पर खड़ा रहता है।
  23. एक न चलना —(बस न चलना) – आप हमसे कुछ भी न कहिये, मेरी तो एक नहीं चलती।
  24. एक के इक्कीस करना —(बढ़ाना) – सेठ जी बड़े कर्मठ एवं चालाक हैं, हर समय वे व्यापार व एक से इक्कीस करने में लगे रहते हैं।
  25. एक दो तीन बोलना –(नीलामी बोलना) – कचहरी में आज कई ट्रेक्टरों के कर्ज अदा न होने पर उनकी एक दो तीन बोल दी गयी।
  26. एक पर एक होना –(एक से बढ़कर एक होना) – बेईमानी में ये पूरा परिवार ही एक पर एक है।
  27. एक हाथ से ताली न बजना –(एक पक्ष से कुछ नहीं होता) -(i) आज के घटनाक्रम में कहीं आप भी गलत रहे होंगे, क्योंकि एक हाथ से ताली नहीं बजती। (ii) हमने भी कुछ त्याग किया है तभी यह दोस्ती का दम है वरना एक हाथ से ताली नहीं बजती।
  28. एकलव्य की गुरु भक्ति –(सच्चा शिष्य) – पूरी कक्षा में सिर्फ मोहन के अन्दर एकलव्य (UPPCS.:04) की गुरु भक्ति दिखाई पड़ती है।
  29. एक तो करेला कड़वा, दूसरे नीम चढ़ा/एक तो करेला, दूजे नीम चढ़ा —(दुर्गुणी दुग्णी का संयोग) – सुधा एक तो पढ़ने में कमजोर है और दूसरे शिक्षकों के प्रति उसका व्यवहार ठीक नहीं है, – एक तो करेला कड़वा दूसरे नीम चढ़ा।
  30. एक म्यान में दो तलवारें —(एक वस्तु या पद पर दो शक्तिशाली व्यक्तियों का अधिकार नहीं हो सकता) – राधारमण स्कूल की प्रबन्ध समिति ने दो प्रधानाचार्यों की नियुक्ति करके एक म्यान में दो तलवार वाली कहावत चरितार्थ कर दी है क्योंकि एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह/समा सकती।
  31. एक और एक ग्यारह —(संघ में शक्ति) छात्रों ने इकट्ठा होकर, भ्रष्ट प्रधानाचार्य को निलम्बित करवा कर एक और एक ग्यारह वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया।
  32. एक मछली सारे तलाब को गंदा करती है —(एक बुरा मनुष्य समस्त समाज को कलंकित कर देता है) – सेठ जी के परिवार में एक लड़का गुण्डा निकल गया जिससे पूरा परिवार बदनाम हो गया। ठीक ही कहा गया है, एक मछली सारे तलाब को गन्दा करती है।
  33. एक हाथ से ताली नहीं बजती —–(अकेले झगड़ा नहीं होता) – कानपुर के दंगे में दोनों पक्षों की गलती थी। एक हाथ से ताली नहीं बजती है।
  34. एक अंडा वह भी गंदा —-(थोड़ी वस्तु, और वह भी किसी काम का नहीं है) – बाजार में गणित की एक ही किताब हैं और वह भी उत्तर माला फटी हुई- एक अंडा वह भी गंदा के समान।
  35. एक आँख से रोवे, एक आँख से हँसे —-(दिखावटी रुदन) – उस कुलटा के बारे में आप क्या क्या बतायेंगे मुझे सब पता है पति की मृत्यु पर वह एक आँख से रोई, एक आँख से हँसी थी।
  36. एक आवे के बर्तन —-(एक समान) — टैगोर पब्लिक स्कूल के सभी बच्चे इतने मेधावी है जैसे एक आवे के बर्तन हो।
  37. एक के दुने से सौ के सवाये भले — (अधिक लाभ पर कम बेचने की अपेक्षा कम लाभ पर ज्यादा माल बेचना श्रेष्ठतर है)- बाजार में सेठ करोड़ी मल के गोदाम में होली के त्यौहार में चीनी की बोरियाँ अधिक लाभ कमाने के चक्कर में पड़ी रह गयीं लेकिन छोटे दुकानदारों ने कम लाभ पर अधिक चीनी बेंच कर एक के दूने से सौ के सवाये भले वाली कहावत चरितार्थ कर दी।
  38. एक तवे की रोटी, क्या छोटी क्या मोटी —-(किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है) – सभी भारतियों में एक तवे की रोटी, क्या छोटी क्या मोटी जैसा व्यवहार होना चाहिए।
  39. एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी —(एक तो गलती करना उलटे रोब गाँटना) – दिनेश ने कक्षा में जिन छात्रों से खुद लड़ाई की उन्हीं छात्रों पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर विद्यालय से निकलवाने की धमकी देना एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी वाली कहावत है।
  40. एक मुँह दो बात —(अपनी बात से पलटना/एक ही मुँह से दो प्रकार की बात करना) – शक नहीं कि पूर्व में पाकिस्तान ने कई बार “एक मुँह दो बात” की है लेकिन इसी कारण दोनों देशों के बीच संवाद को समाप्त नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उससे ठोस नतीजे नहीं आ पाएँगे।
  41. एक ही लकड़ी से सब को हाँकना —-(सभी के साथ समान व्यवहार करना) – राजा भइया की नजर में सब बराबर हैं। वे क्षेत्र के सभी व्यक्तियों को एक ही लकड़ी से हाँकते हैं।
  42. एक हम्माम में सब नंगे —-(सहयोगी एक दूसरे की दुर्बलताएँ जानते हैं) – एक साथ रहने वाले कुछ युवकों में झगड़ा हो गया और वे एक-दूसरे की पोलें खोलने लगे। देखने वालों ने आपस में कहा, एक हम्माम में सब नंगे हैं। (UPPCS.:89)
  43. एक हाथ दे दूसरे हाथ ले —(भलाई के बदले भलाई की उम्मीद)- हमें दूसरे के प्रति भलाई का कार्य करते हुए ‘एक हाथ दे दूसरे हाथ ले की भावना से प्रेरित नहीं होना चाहिए। परोपकार तो वही श्रेष्ठ है जो प्रत्युपकार की भावना से नहीं किया जाता । (RAS.:05)
  44. एक पन्थ दो काज/एक ढेले से दो शिकार —-(एक उपाय से दो कार्य होना) – विजयराज हिन्दी विषय से एम० ए० की तैयारी कर रहा था। उसने हिन्दी साहित्य सम्मेलन से साहित्य रन का भी फार्म भर दिया, जिससे उसका एक पन्थ दो काज हो गया।
  45. एकहि साधे सब सधे, सब साधे सब जाए —(मूल कार्य की ओर ध्यान जाना चाहिए – एकहि साचे सब सधे” पी० सी० एस० की तैयारी पूरी लगन से करो। यदि इस परीक्षा में सफल हो गये तो तुम्हारे सारे दुःख, क्लेश मिट जायेंगे और सारी समस्याएँ स्वयं हल हो जाएंगी।
  46. एक अनार सौ बीमार —-(वह वस्तु जिसकी लालसा या इच्छा सभी को हो पर उपलब्धता कम हो)- मिलिट्री कैंटीन में सैमसंग कम्पनी की वाशिंग मशीन आयी है लेकिन माँग के अनुपात में उनकी संख्या इतनी कम है कि एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

ऐं

  1. ऐंठ निकलना –(घमण्ड चूर होना) – कारगिल युद्ध में परास्त होने के बाद पाकिस्तान की ऐंठ निकल गयी है।
  2. ऐबों पर पर्दा डालना —(अवगुण छिपाना) – आजकल आमतौर पर लोग झूठ-सच बोल कर अपने ऐबों पर पर्दा डाल लेते हैं।
  3. ऐंचातानी करना —(खींचातानी करना) – अपने स्वार्थ वश नेता लोग ऐंचातानी करने में तनिक नहीं झिझकते हैं।
  4. ऐन-गैन —(ठीक वैसा ही) – जैसा राम के पिताजी का स्वभाव है ऐन–गैन राम का भी है।
  5. ऐसी-तैसी करना —(इज्जत नष्ट करना) – अशोभनीय कार्य करोगे तो तुम्हारे परिवार की इज्जत की ऐस्से की तैसी हो जायेगी।
  6. ऐसी-वैसी बात करना —(ओछी बात करना) – आज आपने फिर ऐसी–वैसी बात करनी प्रारम्भ कर दी।
  7. ऐब को हुनर चाहिए —(बुरे कार्य के लिए भी बुद्धि की आवश्यकता होती है) — प्रत्येक हर व्यक्ति प्रत्येक कार्य नहीं कर सकता। हर कार्य के लिए हुनर चाहिए यहाँ तक कि ऐब को भी हुनर चाहिए।
  8. ऐरा-गैरा नत्थू खैरा —(सामान्य व्यक्ति) – आज ऐसा समय आ गया है कि हर ऐरा, गैरा, नत्थू खैरा भी राजनेता बनकर अधिकारियों पर रौब गाँठना चाह रहा है।
  9. ऐसा वैसा —(साधारण, तुच्छ) – वह तो बहुत ही ऐसा-वैसा व्यक्ति है।
  10. ऐब निकालना —(दोष निकालना) — राकेश हमेशा ही दूसरों में ऐब निकालता रहता है।
  11. ऐंठ कर चलना —(गर्व से चलना) – आपका इस प्रकार से ऐंठ कर चलना अच्छा नहीं।
  12. ऐतबार उठना —(विश्वास हटना) – हमारा तो अब उसके ऊपर से ऐतबार ही उठ चुका है।
  13. ऐंठ कर रह जाना —(मन मसोस कर रह जाना) – मैं निर्बल व गरीब हूँ इसलिए उसके दुर्व्यवहार पर मैं ऐंठ कर रह गया।
  14. ऐसे बूढ़े वैल को कौन बाँध भुस देय —-(बूढा और बेकार आदमी दूसरे पर बोझ हो जाता हैं)- सेठ दीनदयाल जिन्दगी भर मेहनत करके कमाये लेकिन आज बूढे हो जाने एवं हॉथ पैर थक जाने पर उनकी उनके परिवार द्वारा अवहेलना देखकर ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस देय वाली कहावत याद आती है।

  1. ओखली में सिर देना —(जानबूझ कर संकट मोल लेना) — पाकिस्तान ने भारत में अपरोक्ष रूप से आतंकवाद को बढ़ावा देकर ओखली में सिर दे दिया है।
  2. ओढ़ लेना —-(सिर पर लेना, उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले लेना) —– मैं उसका एहसानमन्द हैं। वह मेरे बुरे कार्यों को भी अपने ऊपर ओढ़ लेता है।
  3. ओठ चबाना —-(क्रोध में आ जाना) – रामू करेला से चिढ़ता है। उसके सामने जब भी कोई करेला कहता है, वह ओठ चबाने लगता है।
  4. ओस के चाटे प्यास नहीं बुझती –(बड़ी आवश्यकता छोटी वस्तु से पूर्ण नहीं होती)–सोहन ने व्यापार के लिए मोहन से चार हजार रुपये माँगे, लेकिन उसने केवल पचास रुपये दिये, इस पर सोहन ने कहा कि ओस चाटे प्यास नहीं बुझती है।
  5. ओठ चिपकना –(खूब मीठा होना) – ऐसी चाय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है जिसे पीने से ओठ चिपकने लगे।
  6. ओछे की प्रीति : बालू की भीति —(दुष्ट व्यक्ति की मित्रता स्थायी नहीं होती) — रमेश और दिनकर दोनों दुष्ट थे और दोनों मित्र थे, परन्तु कुछ दिनों बाद ही दोनों की मित्रता समाप्त हो गयी, सच है ओछे की प्रीति बालू की भीति के समान होती है।
  7. ओझाई करना —(भूत-प्रेत झाडना, रूठे व्यक्ति को मनाना) – (i) शीला को हिस्टीरिया की बीमारी है उसे अस्पताल ले जाओ, ओझाई मत करो। (ii) सुबह से शाम तक औझाई करने के बावजूद वह पत्नी को नहीं मना पाया। आखिर वह मायके चली ही गयी।
  8. ओठ तक न हिलना —(मुख से शब्द न निकलना) —- नीलम ने मंगू से शादी करने से अचानक इन्कार कर दिया। यह सुनकर मंगू के ओठ तक नहीं हिले ।
  9. ओस का मोती —-(सुन्दर, किन्तु क्षणिक अल्पायु) —- प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए बनाया गया यह पंडाल बिल्कुल ओस का मोती है।
  10. ओस पड़ जाना —-(शर्म–शर्म हो जाना) — पूनम और अभय छुपकर फिल्म देखने गये थे। वहां पर मुझे देखते ही दोनों पर ओस पड़ गई।
  11. ओठ बिचकाना —(घृणा प्रकट करना) —- न जाने क्यों मुझे देखते ही अनु ओठ बिचकाने लगती है।
  12. ओले पड़ना —(विपत्ति आना) —- उसने पहले ही बहुत दुःख सहे हैं और अब पति की मृत्यु से तो उसके सिर पर ओले ही पड़ गये।
  13. ओछे की प्रीति बालू की भीति —-(नीच की मित्रता-क्षण भंगुर अथवा अस्थायी होती है) – उस निम्न कोटि के संस्कार वाले व्यक्ति से मैंने व्यर्थ में ही मित्रता कर ली थी। जब उसने मेरे साथ विश्वासघात किया तब पता चला कि ओछे की प्रीति बालू की भीति की तरह होती है।
  14. ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना —-(कठिन काम प्रारम्भ करने पर कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए) – साहसी और दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति ही किसी कार्य को पूरा कर पाते हैं, जो ओखली में सिर डालने पर मूसलों से नहीं डरते।।
  15. ओछे के घर जाना, जनम-जनम का ताना —-(नीच व्यक्ति किसी का कोई काम करके उसे जीवन पर्यन्त ताने देता रहता है) – सरनाम सिंह ने एक दो बार मेरी सहायता क्या कर दी है अब वह सभी जगह इसी बात को कहता फिरता है। सच है, ओछे के घर जाना, जनम-जनम का ताना।
  16. ओस चाटे प्यास नहीं बुझती —(बहुत कम वस्तु से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है) – अपनी बहन की शादी में दहेज के लिए एक मित्र से पैसा मिलने का आश्वासन था। उन्होंने केवल तीन सौ रुपया दिया जो ओस चाटे प्यास नहीं बुझती कहावत को चरितार्थ कर रहा था।

 


  1. औघर की झोली —(अनेक करामाती वस्तुओं का संग्रह) —- लोग उसे अपने पास हर समय बहुत सी वस्तुओं का संग्रह रखने के कारण औघर की झोली कहकर बुलाते हैं।
  2. औघट चाल चलना —(असली रास्ता छोड़कर चलना) -000 वह स्कूल से आते समय हमेशा औचंट चाल चलता है।
  3. औधी खोपड़ी होना —-(निरामूर्ख) — उसकी औधी खोपड़ी में तुम्हारी तर्कपूर्ण बातें नहीं आयेंगी।
  4. औंधे मुंह गिरना —-(पराजित होना) — आज अखाड़े में राम को पहलवान ने एसा दाँव मारा कि वह फौरन औंधे मुँह गिर गया।
  5. औचट में पड़ना —(संकट में पड़ना) – आस्ट्रेलिया अपनी खराब गेंदबाजी के कारण आज औचट में पड़ गयी।
  6. औने-पौने में बेचना —(जो कुछ मिले उसी मूल्य पर बेच देना) – घर पर रखे-रखे पुरानी साइकिल क्या होगा। इसको तुरन्त ही औने-पौने में कबाड़ी को बेच दो।
  7. और का और हो जाना— (बदल जाना) —- मैंने सोचा कुछ था लेकिन और का और हो गया।
  8. और घर देखना —(दूसरे के यहाँ जाना) — भिखारियों को लोग हमेशा ही और घर देखने को कहकर भगा देते हैं।
  9. और ही रंग खिलाना —(कुछ विचित्र करना) —- आजकल लोगों से अक्सर उलझ कर तुम कुछ और ही रंग खिला रहे हो।
  10. औसर चूकी डोमिया गावे ताल-बेताल —(समय के चूक जाने पर उत्तेजना के वशीभूत होकर उलटा-सीधा बकना) – जो कुछ माँगना था शादी के पूर्व तय कर लेना चाहिए था। अब शादी हो जाने के बाद उत्तेजना के वशीभूत होकर आपका उलटा सीधा बकना, और चूकी डोमिया गावे ताल बेताल वाली कहावत है।

 

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