बिहार का भौतिक विभाजन
Chapter-03 Natural division of Bihar
बिहार का प्राकृतिक विभाजन / दशा /
बिहार का भौतिक विभाजन
भूगर्भिक संरचना
- बिहार राज्य के भू-वैज्ञानिक संगठन में चतुर्थ कल्प से लेकर कैम्ब्रियन पूर्व कल्प के शैल समूहों का योगदान है।
- बिहार का जलोढ़ मैदान संरचनात्मक दृष्टि से नवीनतम संरचना है जबकि दक्षिणी बिहार के सीमांत पठारी प्रदेश में आर्कियन युगीन चट्टानें मिलती हैं।
- भूगर्भिक संरचना की दृष्टि से बिहार में चार स्पष्ट धरातल देखे जाते हैं :
1. उत्तर में शिवालिक की टर्शियरी चट्टानें;
2. गंगा के मैदान में प्लीस्टोसीन काल का जलोढ़ निक्षेप;
3. कैमूर के पठार पर विंध्य कल्प का चूना-पत्थर और बलुआ पत्थर से बना निक्षेप तथा
4. दक्षिण के सीमांत पठारी प्रदेश की Archean Rock
- बिहार का मैदानी भाग जो बिहार के कुल क्षेत्रफल का लगभग 95 प्रतिशत है, प्राचीन टेथिस सागर के ऊपर विकसित हुआ बताया जाता है।
- भू-सन्नति सिद्धांत के अनुसार हिमालय पर्वत का निर्माण टेथिस सागर के मलबे के संपीडन द्वारा हुआ है।
- हिमालय के बनते समय हिमालय के दक्षिण में एक विशाल अग्रगर्त बन गया था। इस विशाल अग्रगर्त में गोंडवानालैंड के पठारी भाग से निकलने वाली नदियों ने अपने द्वारा लाये गये अवसादों का निक्षेप करना शुरू किया।
- इससे प्लीस्टोसीन काल में गंगा के मैदान का निर्माण हुआ।
बिहार का मैदानी भाग
- बिहार का मैदानी भाग असंगठित महीन मृतिका, गाद एवं विभिन्न कोटि के बालूकणों जैसे अवसादों से निर्मित है, जहाँ बजरी और गोलाश्म के साथ अवसादों के सीमेंटीकरण के कारण मिट्टी के अधोस्तरीय संस्तरों में प्लेट जैसी संरचनाएँ विकसित हो गयी हैं।
- इन पटलों की उपस्थिति ने मैदान के भूमिगत जलप्रवाह को एक विशेष चरित्र प्रदान किया है। संपर्ण बिहार के मैदानी भाग में जलोढ़ की गहराई एकसमान नहीं है।
- गंगा के दक्षिण स्थित मैदान में जलोढ़ की गहराई पहाड़ियों के निकट अपेक्षाकृत कम है। इसके पश्चिम की ओर बढ़ने पर जलोढ़ की गहराई बढ़ती जाती है। इस दक्षिणी मैदान में सबसे गहरे जलोढ़ बेसिन की स्थिति बक्सर तथा मोकामा के मध्य उपलब्ध है।
- 25° उत्तरी अक्षांश से उत्तर की तरफ जलोढ़ की उच्चतम गहराई देखी जाती है। इन क्षेत्रों में आधार शैल के ऊपर जलोढ़ 100 मीटर से लेकर 700 मीटर तक गहरे हैं।
- डुमरांव, आरा, बिहटा और पुनपुन को अगर एक काल्पनिक रेखा से मिलाया जाये तो इसके समानांतर स्थित ‘हिंज रेखा’ के समीप जलोढ़ की गहराई अचानक 300-350 मीटर से बढ़कर 700 मीटर हो जाती है। यह इस प्रदेश की सामान्य संरचनात्मक विशेषता से संबंधित है।
- मुजफ्फरपुर तथा सारण के मध्य जलोढ़ बेसिन की अधिकतम गहराई 1000 से लेकर 2500 मीटर तक मापी गयी है।
- 25° उत्तरी अक्षांश के दक्षिण तथा 86° देशांतर के पश्चिम में स्थित गंगा के मैदान में जलोढ़ की गहराई अपेक्षाकृत कम है।
- हरिहरगंज, औरंगाबाद तथा नवादा के सीमांती क्षेत्रों में जलोढ़ स्थलाकृति पर्याप्त स्थानिक अंतर को अभिव्यक्त करती है।
- इन क्षेत्रों में स्थित आर्कियन नवांतशायी तथा विंध्यन का भू-दृश्यों का कोई व्यापक प्रभाव जलोढ़ की गहराई पर नहीं पड़ा है।
बिहार के शिवालिक
- बिहार के पश्चिमी चंपारण और पूर्णिया जिले में शिवालिक का हिस्सा दिखायी देता है, जिसकी चट्टानें टर्शियरी काल के अंतिम चरण में निर्मित हुई हैं।
- यह मुख्यतः अवसादी चट्टानें हैं।
बिहार में पठार
- बिहार में अवस्थित सीमांत पठारी प्रदेश छोटानागपुर का हिस्सा है। यह पठार पूर्व कैम्ब्रियन काल में निर्मित है।
- मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में विंध्य काल के जो शैल समूह मिलते हैं उन्हीं का पूर्वी विस्तार बिहार के पश्चिम क्षेत्रों में उपलब्ध है। इन्हें ‘कैमूर का पठार’ कहा जाता है।
- यह प्राचीन अवसादी ग्रिटी से लेकर सूक्ष्मकणीय बालुकाश्म शैल, फ्लैगस्टोन, बलुआही गाद शैल, चूना-पत्थर शैलों से तथा क्वार्जाइट ब्रेसिया, परसेलेनाइटस शैलों से निर्मित है।
- रासायनिक पविर्तन के अंतर्गत चूना-पत्थर के शैल रवेदार डोलोमाइट में परिणत होते हैं एवं इन शैल समूहों के शैल बहुधा पाइराइटीफेरस विशेषताओं को भी प्रकट करते हैं।
- गया, नवादा, मुंगेर, बांका जिलों में ग्रेनाइट, निस, शिष्ट, क्वार्जाइट से बने आर्कियन चट्टान दिखायी देते हैं ।
- कई जिलों में क्वार्जाइट के अलावा स्लेट और फिलायट भी मिलता है।
- बिहार का मैदानी भाग हिमालय के प्रवर्तन से प्रभावित रहा है।
- तृतीय कल्प के भूसंचलनों के प्रभाव से गंगा का असंवलित बेसिन और भी गहरा होता चला गया तथा इस असंवलित बेसिन में प्रवाहित होने वाली नदियों द्वारा अवसादों के निक्षेप होते रहने से वर्तमान जलोढ़ मैदान की उत्पत्ति हुई है।
- वर्तमान जलोढ़ के नीचे छिपे भ्रंश भी विवर्तनिक घटनाओं के प्रमाण हैं, जिनसे यह क्षेत्र प्रभावित होता रहा है।
- संरचनात्मक घटनाओं में अंतिम उल्लेखनीय घटना प्लीस्टोसीन काल एक से संबंधित हैं, जब राजमहल तथा शिलांग पठार का मध्यवर्ती भाग धंस जाने पर गंगा नदी बगाल की खाड़ी की ओर प्रवाहित होने लगी।
बिहार का प्राकृतिक विभाजन / दशा ।
- उच्चावच की दृष्टि से बिहार को 3 भागों में बांटा जा सकता है :
1. हिमालय का पर्वतपदीय क्षेत्र (क्षेत्रफल-586 वर्ग किमी)-0.06%
2. गंगा का मैदानी भाग (क्षेत्रफल-90,650 वर्ग किमी)-96.26%
3. दक्षिण का पठारी भाग (क्षेत्रफल–2,927 वर्ग किमी)-3.68%
- भौतिक बनावट और संरचना की दृष्टि से बिहार को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:
1. उत्तर का शिवालिक का पर्वतीय भाग एवं तराई क्षेत्र,
2. बिहार का विशाल मैदान और
3. दक्षिण का सीमांत पठारी प्रदेश ।
उत्तर का शिवालिक पर्वतीय एवं तराई क्षेत्र
- बिहार के उत्तर-पश्चिम में स्थित यह एक छोटा क्षेत्र है, जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 932 वर्ग किमी है।
- यह शिवालिक पर्वतीय प्रदेश हिमालय का तृतीय मोड़ माना जाता है। यह टर्शियरी भ-संचलन के फलस्वरूप बना है।
- इसे तीन उप-विभाजनों में बांटा जा सकता है :
1. रामनगर दून
- यह छोटी-छोटी पहाड़ियों का क्रम है, जो 214 वर्ग किमी क्षेत्र पर फैला है।
- इसकी अधिकतम ऊँचाई 240 मीटर है। यह हरहा नदी घाटी के दक्षिण में अवस्थित है।
2. सोमेश्वर श्रेणी
- सोमेश्वर श्रेणी का विस्तार पश्चिम में त्रिवेणी नहर के शीर्ष भाग से भिखनाठोरी तक लगभग 75 वर्ग किमी में है ।
- इसका शीर्ष भाग बिहार और नेपाल के बीच सीमा के रूप में है।
- अतः बिहार का उत्तर-पश्चिमी भाग इस पर्वत श्रेणी से घिरा है। इसकी सर्वोच्च चोटी 874 मीटर ऊँची है।
- इस क्षेत्र में कई दर्रे हैं, जो नदियों के बहाव के कारण बने हैं। इनमें सुमेश्वर, भिखनाठोरी और मवात प्रमुख हैं।
- इन्हीं दरों से बिहार और नेपाल के बीच संपर्क मार्ग बनता है।
- शिवालिक वलित पर्वत के इन श्रेणियों में नदी द्वारा अपरदन के कारण काफी उबड़-खाबड़ क्षेत्र का विकास हुआ है।
- इन नयी परतदार चट्टानों में मुलायम बलुआ पत्थर मिलता है।
3. दून घाटी
- दून घाटी उपर्युक्त दोनों उप-विभाजनों के बीच स्थित है तथा इस घाटी को हरहा नदी की घाटी भी कहते हैं ।
- यह लगभग 24 किमी लंबी है एवं गंगा के जलोढ़ मैदान से कुछ ऊँची है।
बिहार का विशाल मैदान
- यह 90,650 वर्ग किमी में विस्तृत है, जो बिहार के कुल क्षेत्रफल का लगभग 96 प्रतिशत है।
- उत्तरी पर्वतीय प्रदेश और दक्षिणी पठारी प्रदेश के बीच फैला बिहार का विशाल मैदान नदियों द्वारा लायी गयी जलोढ़ मिट्टी से बना है, जिसका पश्चिमी सीमावर्ती भाग में कहीं कहीं चूने के कंकड़ का ऊपरी सतह के निकट जमाव पाया जाता है।
- गंगा नदी के दक्षिणी भाग में सपाट मैदान है और इस मैदान में चौर के तरह की निचली भूमि पायी जाती है, जिसे टाल या ताल कहते हैं । वर्षा ऋतु में यह टाल क्षेत्र जलमग्न रहता है।
- गंगा के मैदानी क्षेत्र का ढाल सर्वत्र एक समान एवं धीमा है, जो 6 सेमी प्रति किमी है।
- समुद्रतल से इसकी औसत ऊँचाई 60 मीटर से 120 मीटर के मध्य है।
- हालांकि इसकी औसत गहराई 1000 मीटर से 1500 मीटर के मध्य है, परन्तु कहीं-कहीं इससे अधिक भी गहराई पायी जाती है।
- सम्पर्ण राज्य को मुख्यतः दो भू-आकृतिक प्रदेशों में बांटा जा सकता है या फिर यह भी कह सकते हैं कि गंगा नदी इस मैदान को दो भागों में बांटती है-
I. गंगा का उत्तरी मैदान और
II. गंगा का दक्षिणी मैदान ।
I. गंगा का उत्तरी मैदान
- गंगा के उत्तर में स्थित उत्तरी बिहार का मैदान घाघरा, गण्डक, बूढ़ी गण्डक, बागमती एवं कोसी नदियों के बहने का क्षेत्र है।
- इन नदियों ने इस प्रदेश को अनेक दोआबों में वर्गीकृत कर दिया है; जैसे-
(i) घाघरा-गंडक दोआब,
(ii) गंडक-कोसी दोआब,
(iii) कोसी-महानंदा दोआब
- उत्तर बिहार का यह मैदान समतल एवं मूलतः एकरूपी होने के बावजूद यहाँ की प्रवाह प्रणाली के कारण स्थानीय भिन्नता रखता है।
- उत्तरी गंगा मैदान में गंगा नदी पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होती है।
- बिहार की राजधानी पटना के उत्तर में गंगा नदी से गण्डक नदी मिलती है।
- उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर गंगा से घाघरा नदी मिलती है।
- गंगा नदी से बूढ़ी गण्डक, बागमती और कोसी नदियाँ मिलती हैं।
- यह भू-भाग गंगा के उत्तरी तराई के 56,980 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है, जो राज्य के 32.77% क्षेत्र पर विस्तृत है यह एक समतल मैदान है और जलोढ़ मिट्टी से बना है।
- इस भू-भाग का ढाल उत्तर से दक्षिण को मंद तथा उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पश्चिम को अत्यंत मंद होता चला गया है। इसकी औसत ऊँचाई समुद्रतल से 66 मीटर है।
- मैदान के उत्तर-पश्चिमी भाग में शिवालिक पर्वत श्रेणी के अवशेष रूप में कुछ पहाड़ियाँ स्थित हैं।
- राज्य की उत्तरी सीमा के साथ-साथ लगभग 60 किमी तक सोमेश्वर पर्वत श्रेणियाँ फैली हुई हैं।
- शिवालिक पर्वत श्रेणियों में रामनगर दून की पहाड़ियाँ विस्तृत हैं।
- रामनगर दून की पहाड़ियाँ 32 किलोमीटर लम्बी और 6 से 8 किमी चौड़ाई में विस्तृत है तथा यहीं हरहा की घाटी है जो 22 किमी लम्बी है।
- इसी घाटी के उत्तर में सोमेश्वर की 800-2800 फीट ऊँचाई वाली पहाड़ियाँ स्थित हैं।
- गंगा नदी के प्रवाह क्षेत्र में बाढ़ क्षेत्र की विशेष आकृति के रूप में राज्य में स्थान-स्थान पर “दियारा-भूमि’ दिखाई पड़ती है।
- नदी धाराओं के कारण बने दियारा, चौर व छाड़न विशिष्ट भू-आकृतियाँ भोजपुर, बक्सर, सारण, चंपारण, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, मुंगेर, दरभंगा, पूर्णिया व सहरसा में प्रायः मिलते हैं।
इस मैदान की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
(a) यह जलोढ़ पंखी क्षेत्र है, जहाँ से नदियाँ मुड़कर अपना प्रवाह-पथ बदलती रही हैं।
(b) गंगा के उत्तरी मैदान व दक्षिणी मैदान का सीमावर्ती भाग अपेक्षाकृत ऊँचा है। इन उच्च भूमियों की संख्या पश्चिम में अधिक है।
(c) इस मैदान के पश्चिमी चम्पारण जिले में पहाड़ियों के समीपवर्ती भाग में नम तराई क्षेत्र है।
- इस मैदान के उत्तर में दलदल भूमि की लम्बी पेटी है जिसके मध्य नदी घाटियाँ तथा कछ भूमियाँ विद्यमान है।
- दलदल युक्त उत्तरी विस्तृत पेटी के नीचे विस्तृत निम्न भूमि का क्षेत्र है जहाँ दलदली झीलों का बाहुल्य है।
- उपयुक्त आधारों पर गंगा के उत्तरी मैदान को चार भागों में बाँटा जा सकता है-
1. भाबर, तराई एवं उपतराई क्षेत्र
2. भांगर या बांगर भूमि तथा
3. खादर भूमि
4. चौर एवं मन।
1. भाबर, तराई एवं उपतराई क्षेत्र
- तराई क्षेत्र शिवालिक पर्वत श्रृंखला के नीचे पश्चिम से पूर्व की ओर एक संकीर्ण पट्टी के रूप में विस्तृत है।
- यह एक सपाट आर्द्र क्षेत्र है।
- तराई क्षेत्र से ठीक सटे दक्षिण उप-तराई प्रदेश पाया जाता है।
- उप तराई प्रदेश की ऊँचाई तराई क्षेत्र से कम है। यह एक दलदली क्षेत्र है।
- तराई क्षेत्र को भाबर क्षेत्र भी कहते हैं।
- यह सोमेश्वर पहाड़ी के तराई में 10-12 किमी चौड़ा कंकड़-बालू का निक्षेप है।
2. भांगर (बांगर) भूमि
- भांगर भूमि के अंतर्गत प्राकृतिक बांध तथा दोआब मैदान के क्षेत्र आते हैं।
- ये आस-पास के क्षेत्र से 7.8 मीटर ऊँचे दिखते हैं। भांगर पुराने जलोढ़ होते हैं।
- पराने जलोढ़ (भांगर) एवं नये जलोढ़ों (खादर) के बीच में एक मध्यवर्ती ढाल मिलता है, जो बहुत स्पष्ट दिखायी देता है।
3. खादर भूमि
- खादर भूमि नवीन जलोढ़ का विस्तृत क्षेत्र है। इसका विस्तार गंडक नदी और कोसी नदी के बीच है।
- यह क्षेत्र लगभग प्रत्येक वर्ष बाढ़ से प्रभावित होता है।
- यह भूमि काफी ऊपजाऊ होती है। जिन नदियों में बाढ़ प्रत्येक वर्ष आती है उन नदियों के किनारों पर खादर भूमि का मैदान विकसित होता है।
4. चौर एवं मन
- उत्तरी गंगा मैदान की निम्न भूमि, जो वर्षा के समय में पानी से भरा रहता है, ‘चौर’ कहलाती है।
- नदियों से बने गोखुर झीलों के रूप में पायी जाने वाली आकृति ‘मन’ कहलाती है।
दियारा भूमि
- गंगा के प्रवाह क्षेत्र में स्थान-स्थान पर दियारा भूमि दृष्टिगोचर होती है।
- यह बाढ़ क्षेत्र की एक विशेष आकृति है।
- सारण, चम्पारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पूर्णिया और सहरसा में नदी धाराओं के कारण बने दियारा, चौर और छाड़न नामक विशिष्ट भू-आकृतियाँ विद्यमान हैं।
II. गंगा का दक्षिणी मैदान
- गंगा नदी के दक्षिणी तट से झारखंड के छोटानागपुर पठार तक फैला बिहार का भाग भी समतल है । परन्तु कहीं-कहीं बाह्य स्थित पहाड़ियाँ इसकी एकरूपता को भंग करती हैं।
- इनमें गया (266 मी०), राजगीर (466 मी०), खड़गपुर (510 मी०), गिरियक और बराबर की पहाड़ियाँ मुख्य हैं।
- यह भू-भाग दक्षिणी बिहार के लगभग 33,670 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। यह पश्चिम और मध्य में अधिक चौड़ा तथा पूर्व में (राजमहल की पहाड़ियों के निकट) संकीर्ण हो गया है।
- इस भू-भाग में अनेक छोटी-छोटी पहाड़ियाँ हैं, जो मैदानी भाग के कृषि क्षेत्र में बीच-बीच में स्थित हैं।
- यह मैदान राज्य के 19.36% क्षेत्र पर विस्तृत है।
- इस मैदान की प्रमुख नदियाँ सोन, कर्मनाशा, पुनपुन और फल्गू व उनकी सहायक नदियाँ हैं।
- मैदानी भाग में स्थान-स्थान पर पहाड़ियाँ और टेकरियाँ फैली हैं, जिनमें गया जिले की बराबर, रामशिला, प्रेतशिला व जेठियन पहाड़ियाँ, राजगीर और गिरियक की पहाड़ियाँ, बिहारशरीफ की बड़ी पहाड़ी (पीर पहाड़ी) तथा शेखपुरा और पार्वती की टेकरियाँ महत्वपूर्ण हैं।
- इस क्षेत्र की कई नदियाँ गंगा में नहीं मिलकर नदी के समानान्तर दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हैं, जिनका राज्य की सिंचाई में महत्वपूर्ण योगदान है।
- दक्षिण गंगा का मैदान मुख्यतः छोटानागपुर के पठार (झारखण्ड) से गंगा में प्रवाहित होनेवाली नदियों के द्वारा लाई गई मिट्टी से बना है।
- दक्षिण मैदान की औसत ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है। इस मैदान का निर्माण पठारी प्रदेश से होकर बहने वाली नदियों के द्वारा लायी गयी बलुई मिट्टी से हुआ है।
- बलुई मिट्टी होने के कारण इसमें पानी अधिक सूखता है। अतः सतह पर जल का अभाव होने पर भी भूमिगत जल अधिक मात्रा में मिलता है।
- इस भाग में गंगा प्राकृतिक कागार का निर्माण करती है। ये प्राकृतिक कागार अपने आस पास की भूमि से ऊँचा रहते हैं, जिसके कारण नदियाँ गंगा के समानांतर ही प्रवाहित होती हैं। इससे पिनेट प्रवाह प्रणाली का निर्माण होता है।
- प्राकृतिक कागार के दक्षिण जल्ला-ढाल का निम्न क्षेत्र (टाल) पाया जाता है। इसका विस्तार from patna to लखीसराय तक है। इसमें बड़हिया. मोकामा. फतहा. बख्तियारपर. बाढ, मोर और सिंघौल का टाल प्रमुख है।
- टाल क्षेत्र वर्षा ऋतु में जलमग्न रहता है।
- गंगा के दक्षिणी मैदान की चौड़ाई पश्चिम में अधिक है, किन्तु पूरब में यह धीरे-धीरे कम होती जाती है।
- गंगा के दक्षिणी मैदान को मुख्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है—
A. सोन-गंगा दोआब,
B. मगध का मैदान और
C. अंग का मैदान ।
- दक्षिण बिहार की नदियाँ सदावाहिनी (सदानीरा) नहीं हैं। यहाँ ढाल क्षेत्र में खादर के मैदान मिलते हैं।
- गंगा के दक्षिणी मैदान का निर्माण छोटानागपुर के पठार से गंगा नदी की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों के द्वारा लायी गयी जलोढ़ मिट्टियों से हुआ है।
- इस मैदान की प्रमुख नदियां सोन, पुनपुन, फल्गु, किउल और मान हैं।
- गंगा नदी के दक्षिणी किनारे के समानांतर फैली ऊँची तटबंध रेखा के कारण पुनपुन, फल्गु आदि नदियाँ सीधे गंगा में नहीं मिल पाती हैं।
दक्षिण का सीमांत पठारी क्षेत्र
- गंगा के मैदान के दक्षिण सीमांत में छोटानागपुर पठार की खादर प्राचीन चट्टानों के दृश्यांश, जिसमें निस, शिष्ट और ग्रेनाइट चट्टानों की बहुलता है, धरातल पर दिखाई देते हैं।
- यह क्षेत्र तीव्रवाही सरिताओं व प्रपाती ढाल से युक्त पहाड़ियों, समतल सक्रिय घाटियों एवं विषम धरातल से युक्त पठारी प्रदेश है।
- इसके अंतर्गत गया, मंदार, बराबर और जेठियन की पहाड़ियों, गेंगेश्वरी, राजगीर और शेखपुरा आदि की सूकर पीठ पहाड़ियों, बिहारशरीफ, जमालपुर, मुंगेर की पहाड़ियाँ तथा रोहतास और कैमूर जिले में विस्तृत कैमूर का पठार आता है।
- मैदान के दक्षिणी सीमांत में नवीनगर और मोराटाल से मुंगेर तक क्वार्जाइट की चट्टाने सूकर पीठ के रूप में विकसित हैं।
- कुल मिलाकर छोटानागपुर और कैमूर के पठार का यह अपरदित भाग 150 से 300 मीटर तक ऊँचाई वाले धरातल का निर्माण करते हैं।
- सोन नदी कैमूर के पठार को छोटानागपुर के पठार से अलग करती है।
- छोटानागपुर पठार के उत्तरी सीमांत क्षेत्र में आर्कियन, नीस और ग्रेनाइट हैं जबकी कैमूर के पठार में बलुआ पत्थर मिलता है।
MCQs
1. बिहार के उत्तरी गंगा के मैदानी भाग का निर्माण हुआ है-.
(a) गंगा और उसकी सहायक नदियों के निक्षेप से
(b) गंगा और सोन नदी के निक्षेप से
(c) सोन और कोसी नदी के निक्षेप से
(d) घाघरा और गंडक नदी के निक्षेप से
उत्तर-(a) :
बिहार में गंगा के उत्तरी मैदान की सहायक नदियाँ-घाघरा, गंडक, बूढी गंडक, कोसी, बागमती, कमला, बलान आदि है।
2. बिहार के उत्तर पश्चिम में स्थित हरहा नदी की घाटी को कहा जाता है
(a) रामनगर दून
(b) दून घाटी
(c) सुमेश्वर श्रेणी
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-(b)
3. किसका शीर्ष भाग बिहार और नेपाल के बीच सीमा रेखा के रूप में जाना जाता है ?
(a) रामनगर दून
(b) कैमुर की पहाड़ी
(c) सुमेश्वर श्रेणी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(c)
4. बिहार में गंगा का उत्तरी मैदान कितने क्षेत्रफल पर विस्तृत है ?
(a) 20,190 वर्ग किलोमीटर
(b) 33,670 वर्ग किलोमीटर
(c) 56,980 वर्ग किलोमीटर
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-(c)
5. बिहार में गंगा का दक्षिणी भाग कितने क्षेत्रफल पर विस्तृत है?
(a) 33,183 वर्ग किलोमीटर
(b) 37,183 वर्ग किलोमीटर
(c) 33,670 वर्ग किलोमीटर
(d) 19,170 वर्ग किलोमीटर
उत्तर-(c)
बिहार का भौतिक विभाजन
6. बिहार राज्य में मैदानी भाग कितने क्षेत्र में विस्तृत है।
(a) 90,650 वर्ग किलोमीटर
(b) 88298 वर्ग किलोमीटर
(c) 92,360 वर्ग किलोमीटर
(d) 93,280 वर्ग किलोमीटर
उत्तर-(a)
7. बिहार के उत्तरी मैदानी भाग में पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ते क्रम में दोआब का सही क्रम कौन-सा है।
1. घाघरा-गंडक दोआब
2. गंडक-कोसी दोआब
3. कोशी-महानंदा दोआब
(a) 1, 2, 3 सही क्रम है।
(b) 1, 3, 2 सही क्रम है
(c) 3, 1, 2 सही क्रम है
(d) 3, 2, 1 सही क्रम है
उत्तर-(a)
8. गंगा नदी के दक्षिणी भाग में फैले बिहार के क्षेत्र को कहा जाता है
(a) गंगा-सोन दोआब
(b) मगध का मैदान
(c) अंग का मैदान
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर-(d)
9. बिहार के उत्तरी मैदान की ढाल पश्चिमी भाग में उत्तर-पश्चिम से है
(a) दक्षिण-पूर्व (b) दक्षिण-पश्चिम (c) उत्तर-पूर्व (d) पूर्व-पश्चिम
उत्तर-(a)
10. बिहार के उत्तरी-पूर्वी भाग में ढाल उत्तर से है
(a) पूर्व (b) पश्चिम (c) दक्षिण (d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(c)
11. बिहार में पूर्वी भाग की अपेक्षा पश्चिमी भाग की ढाल
(a) कम है (b) अधिक है (c) बराबर है (d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(b)
12. बिहार में दक्षिणी गंगा के मैदान की औसत ढाल है
(a) दक्षिण से उत्तर (b) उत्तर से दक्षिण (c) पूर्व से पश्चिम (d) पश्चिम से पूर्व
उत्तर-(a)
बिहार का भौतिक विभाजन
13. गंगा के मैदानी भाग की ढाल प्रति किलोमीटर कितनी है?
(a) 10 सेमी० (b) 6 सेमी० (c) 12 सेमी० (d) 8 सेमी०
उत्तर-(b)
14. उत्तरी गंगा के मैदान में शिवालिक पर्वत श्रेणियों में सम्मिलित है
(a) रामनगर दून की पहाड़ी श्रृंखला
(b) सोमेश्वर की पहाड़ी श्रृंखला
(c) उपरोक्त दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(c)
15. बिहार के उत्तरी भाग में 32 किलोमीटर लम्बी रामनगर दून की पहाड़ियाँ है, इसका चौड़ाई ……. है।
(a) 6-8 किलोमीटर
(b) 9-10 किलोमीटर
(c) 8-16 किलोमीटर
(d) 10-18 किलोमीटर
उत्तर-(a)
16. बिहार के दक्षिणी गंगा के मैदान में अवस्थित पहाड़ियाँ हैं ।
(a) धारवाड़ कालीन क्वार्टजाइट
(b) गोण्डवाना
(c) इनमें से कोई नहीं
(d) उपरोक्त दोनों
उत्तर-(a)
बिहार का भौतिक विभाजन
17. बिहार के किस जिले में सोमेश्वर की पहाड़ी स्थित है ?
(a) पश्चिमी चम्पारण
(b) गोपालगंज
(c) पूर्वी चम्पारण
(d) सिवान
उत्तर-(a)
18. बिहार में दियार भूमि कहा जाता है
(a) गंगा से पूरब ऊँचा-टीला क्षेत्र
(b) जलोढ़ मैदान
(c) वर्षा ऋतु में डूबे हुए विशेष क्षेत्र
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(a)
19. बिहार के उत्तर-पश्चिम में स्थित पहाड़ियाँ जिसे शिवालिक श्रृंखला भी कहा जाता है जो है एक
(a) ज्वालामुखी पर्वत (b) भ्रंशोत्य पर्वत (c) नवीन मोड़दार पर्वत (d) अवशिष्ट पर्वत
उत्तर-(c)
20. बिहार के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र की पहाड़ियाँ किस समूह की है?
(a) विंध्यन (b) टर्शियरी (c) आर्कियन (d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(a)
बिहार का भौतिक विभाजन
21. बिहार के उत्तरी मैदानी भाग में एक विशेष आकृति की भूमि पाई जाती है, जिसमें जल भरा रहता है, उसे कहा जाता है
(a) दियारा (b) ताल (c) जल्ला (d) चऊर
उत्तर-(d)
22. गंगा के उत्तरी मैदानी भाग में कांप, मिट्टी और बालू से निर्मित भाग को कहा जाता है
(a) ताल (b) तराई (c) दियारा (d) चऊर
उत्तर-(c)
23. नालंदा जिले में स्थित हैं
(a) राजगीर की पहाड़ियाँ (b) गिरियक की पहाड़ियाँ (c) बिहार शरीफ की बड़ी पहाड़ी (d) उपरोक्त सभी
उत्तर-(d)
24. बिहार के उत्तरी-पश्चिमी भाग में स्थित पहाड़ी जिसे शिवालिक श्रेणी की पहाड़ी कहा जाता है का निर्माण किस काल में हुआ है ?
(a) मायोसीन काल (b) इयोसीन काल (c) प्लीस्टोसीन काल (d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(c)
25. निम्न में बिहार का कौन-सा सर्वोच्च स्थान है
(a) कैमुर की पहाड़ी (b) खड़गपुर की पहाड़ी (c) सोमेश्वर की पहाड़ी (d) जमुई की पहाड़ी
उत्तर-(c)
26. बिहार का सर्वोच्च शृंग है
(a) सोमेश्वर श्रेणी (b) कैमुर पठार (c) खड़गपुर की पहाड़ी (d) गया की पहाड़ी
उत्तर-(a)
27. बिहार की सर्वोच्च शृंग की ऊँचाई है
(a) 860 मीटर (b) 890 मीटर (c) 874 मीटर (d) 910 मीटर
उत्तर-(c)
28. बिहार की सुमेश्वर श्रेणी है
(a) पारसनाथ पहाड़ी से पुरानी (b) राजमहल पहाड़ी से पुरानी (c) खड़गपुर पहाड़ी से पुरानी (d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(d) : उपरोक्त सभी से नई ।
29. बिहार के उत्तरी मैदानी खण्ड को कौन-सी नदी दो भागों में बाँटती है । (क्षेत्रीय कार्यालय-2000)
(a) बुढ़ी गंडक (b) गंडक (c) गंगा (d) बागमती
उत्तर-(d)
बिहार का भौतिक विभाजन
30. बिहार राज्य के पश्चिमोत्तर कोने पर हिमालय की एक चोटी है, इसे किस नाम से जाना जाता है ?
(a) कैमुर की पहाड़ी (b) राजमहल की पहाड़ी (c) खड़गपुर की पहाड़ी (d) सोमेश्वर की पहाड़ी
उत्तर-(d)
31. इनमें कौन-सा कथन गलत है ?
(a) बाँका जिला के दक्षिणी भाग में अवशिष्ट पहाड़ियाँ हैं ।
(b) खड़गपुर की पहाड़ी में चूना पत्थर की प्रधानता है।
(c) रोहतास की पहाड़ी में चूना पत्थर के साथ बालू पत्थर भी पाए जाते हैं ।
(d) राजगीर की पहाड़ी में प्रीकेम्ब्रियन चट्टाने पायी जाती है।
उत्तर-(b)
32. इनमें कौन-सा कथन सही है?
(a) सहरसा जिला उत्तरी बिहार के तराई में अवस्थित हैं।
(b) काँवर झील बेगुसराय एवं समस्तीपुर की सीमा पर अवस्थित है।
(c) कर्मनाशा नदी बक्सर जिला के पश्चिमी सीमा पर अवस्थित है।
(d) चीर और सुखनिया नदी खगड़िया जिला में स्थित है।
उत्तर-(c)
33. बिहार राज्य की औसत ऊँचाई समुद्र तल से कितनी है ?
(a) 40 मीटर (b) 53 मीटर (c) 60 मीटर (d) 58 मीटर
उत्तर-(b) : 52.73 मीटर ।
34. सोमेश्वर श्रेणी नेपाल के साथ कितनी कि०मी० लम्बी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा का निर्माण करती है?
(a) करीब 30 किमी
(b) करीब 75 किमी
(c) करीब 60 किमी
(d) करीब 63 किमी
उत्तर-(c)
बिहार का भौतिक विभाजन
35. भूगर्भिक काल में गंगा का मैदान एक सागर था, उसका नाम है
(a) अरब सागर (b) टेथिस सागर (c) अरावली सागर (d) जॉर्जिया सागर
उत्तर-(b)
36. अभ्रख प्रधान शिष्ट चट्टाने जिलों के किस समूह में पायी जाती है?
(a) पटना-गया-मुंगेर (b) बांका-मुंगेर-भागलपुर (c) नवादा-मुंगेर-भागलपुर (d) बांका-जमुई-नवादा
उत्तर-(d)
37. पश्चिमी चम्पारण जिला के शिवालिक पहाड़ी में इनमें किस चट्टान की प्रधानता है ?
(a) आग्नेय (b) परतदार (c) रूपान्तरित (d) पाताली
उत्तर-(b)
38. इनमें गलत जोड़े की पहचान कीजिए ?
जिला ———पहाड़ी
(a) नालंदा-गिधकूट पर्वत
(b) पश्चिमी चम्पारण-सोमेश्वर की पहाड़ी
(c) मुंगेर-खड़गपुर की पहाड़ी
(d) भागलपुर-मंदार पर्वत
उत्तर-(d)
39. प्राकृतिक बनावट की दृष्टि से बिहार बटा हुआ है
(a) गंगा का उत्तरी मैदान (b) दक्षिणी गंगा का मैदान (c) उपरोक्त (a) और (b) दोनों (d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(c)
बिहार का भौतिक विभाजन